सबके सुख दुख में खड़े रहते हैं साथ,ऐसे हैं सत्येंद्र नाथ
आशुतोष रंजन
गढ़वा
ऐसे तो आम जनजीवन में भी हर व्यक्ति का कोई ना कोई विरोधी होता है और वो विरोध स्वरूप अपने विरोधी के बारे में गलत बोलते हुए ऐसी बातें बोल जाता है जो सहन योग्य नहीं होता,लेकिन बात अगर हम राजनीतिक क्षेत्र की करें तो यहां की बयानबाज़ी और आरोप प्रत्यारोप का क्या कहना राजनेता द्वारा अपने प्रतिद्वंदी के विरोध में बोलते हुए कभी कभी उसके बारे में ऐसी बातें बोल दिया जाता है जो एक ओर जहां सामने वाले को सीधे रूप में आघात पहुंचता है तो वहीं दूसरी ओर चर्चा का विषय भी बन जाता है,ऐसे में बात अगर झारखंड के गढ़वा की करें तो यहां तो एक से बढ़ कर एक बयानवीर राजनेता हैं जो एक दूसरे के विरोध में सामने वाले को ऐसी संज्ञा दे जाते हैं जिसके क्या कहने,अब पूर्व मंत्री और राजनीति में परिपक्व कहे जाने वाले गिरिनाथ सिंह के उस बयान को ही देखिए जिसमें उनके द्वारा पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी को रावण कह दिया गया,अब आप ही बताइए वो आम व्यक्ति हो या ख़ास,एक सामान्य नेता हो कोई पदधारी राजनेता वो भरत,शत्रुघ्न और सुग्रीव बनना चाहेगा लेकिन क्या इस कलियुग में कोई रावण बनना चाहेगा..?
हमने कहा था रावण का वध करने को : – पंद्रह साल सत्ता से दूर रहने के बाद एक बार फ़िर से गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने को ले कर परिवर्तन यात्रा के साथ पूरे क्षेत्र में सघन जनसंपर्क करते हुए पूर्व विधायक के साथ साथ वर्तमान विधायक सह मंत्री मिथिलेश ठाकुर पर ज़ुबानी हमला बोलते हुए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह द्वारा क्षेत्र के एक गांव में लोगों को संबोधित करते हुए कहा गया कि पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव में मैने कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं,इसलिए आप लोग बिना किसी संकोच के मिथिलेश ठाकुर को वोट दे दीजिए क्योंकि आपका वर्तमान विधायक पूरी तरह से रावण हो चुका है,ऐसे हालात में रावण का वध करना ज़रूरी है,आपके इसी एक एक वोट से रावण का वध हो सकता है,और उनके लोग उनकी बातों को तवज्जो दिए और उनके द्वारा अपना वोट मिथिलेश ठाकुर को दिया गया जिसका नतीज़ा हुआ कि सत्येंद्र नाथ तिवारी चुनाव हार गए,गिरिनाथ सिंह का यह संबोधन सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसे भाजपा द्वारा उनका इकबालिया बयान बताया जा रहा है।
वो रावण कैसे हो सकता है,जो नेता है राम की पार्टी का : – उधर भाजपा के साथ साथ सत्येंद्र नाथ तिवारी और उनके समर्थक गिरिनाथ सिंह के इस बयान को पचा नहीं पा रहे हैं,उनका सीधे तौर पर कहना है कि राम की पार्टी का नेता रावण कैसे हो सकता है,साथ ही उनका कहना है कि जो राजनीति में आने से पहले से ही समाजसेवा में जुटा हो जिसके द्वारा ख़ुद के सामर्थ्य के अनुसार सहयोग कर के सैकड़ो अनाथ असहाय और ग़रीब बेटियों की शादी कराई गई हो,जिसके द्वारा लोगों की हारी बीमारी में मदद किया गया हो,साथ ही जिसने गांव और समाजहित में कई काम किए हों,साथ ही राजनीति में आने और जनप्रतिनिधि बनने के बाद जिसके द्वारा गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में विकास की बुनियाद रखी गई हो,जो जिले की आपसी भाईचारे को सुदृढ़ रखने में एक पुल का काम किया हो,जो सबको एकसूत्र में बांध कर रखने का काम किया हो,साथ ही राजनीति में रहने के बावजूद जिसका चरित्र बेदाग़ रहा हो ऐसा मर्यादित राजनेता भला राम होने की जगह रावण कैसे हो सकता है,लोगों का कहना है कि ऐसा बयान बौखलाहट का परिणाम है क्योंकि इस बार जनता सत्येंद्र नाथ तिवारी को अपना रहनुमा चुनना तय कर चुकी है और जनता जब ठान लेती है तो उसे मुक़ाम दे कर मानती है,क्योंकि यह गढ़वा की पब्लिक है जो यह सोचते हुए बना चुकी है मन की कौन रावण है और कौन है जयचंद…?