संदर्भ: किलकारी अस्पताल को ध्वस्त किया जाना
आशुतोष रंजन
गढ़वा
अब तलक तो हम आप भगवान को सर्वशक्तिमान ही मानते आए हैं,लेकिन अपने झारखंड के गढ़वा में भगवान को कमज़ोर समझा जा रहा है,आप समझे,लगता है नहीं समझ पाए तो आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए पूरी बात बताते हैं।
भगवान को भी कमज़ोर समझ रहे लोग: – मैं किस भगवान की बात कर रहा हूं उस बावत आपको बताएं की वो कण कण में विराजने वाले भगवान हों या डॉक्टर रूपी धरती के भगवान हों,एक को हम सर्वशक्तिमान मानते हैं तो दूसरे को शक्तिमान,तभी तो उन्हें हम धरती का भगवान कहा करते हैं,क्योंकि जिस भगवान के दिए शरीर जब मृतप्राय सा हो जाता है तो फिर धरती के भगवान द्वारा ही उसमें जान फूंका जाता है,अब यहां सवाल उठता है की जब बेजान शरीर में जो जान फूंकने का माद्दा रखता हो,उसे भला लोग कैसे कमज़ोर समझने लगे,दरअसल हम बात यहां गढ़वा में पदस्थापित डॉक्टर पुष्पा सहगल की कर रहे हैं,जिनके किलकारी नामक निजी अस्पताल को कल देर शाम जहां एक ओर खाली कराया गया वहीं दूसरी ओर उसे ध्वस्त भी कर दिया गया,आप बेशक पूछिएगा की ऐसा क्यों किया गया तो आपको बैंक के पदाधिकारी द्वारा बताए अनुसार जानकारी दें की नीलाम हो चुके ज़मीन पर डॉक्टर पुष्पा सहगल द्वारा भवन बनाया गया था,जिसे अवैध करार देते हुए खाली कराया गया तो उधर ज़मीन मालिक द्वारा उक्त भवन को तत्काल ध्वस्त करा दिया गया,उधर पुष्पा सहगल की मानें तो मैं लाख गलत थी,लेकिन मैने कोई अपराध नहीं किया था,एक अपराधी के घर को भी कुर्क करने से पहले उसके घर में सूचना चस्पा किया जाता है,लेकिन मुझे तो एक अपराधी से भी बड़ा दोषवार समझा गया,तभी तो बिना पूर्व सूचना के मेरे अस्पताल के साथ साथ घर के सारे सामान को बेतरतीब ढंग से बाहर निकाल कर फेंक दिया गया,साथ ही कहा की एक प्रतिष्ठित महिला डॉक्टर जो पिछले कई सालों से जिले के लोगों की सेवा में अनवरत जुटी हुई है उसके साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार करना क्या सही है.?,इसका फ़ैसला उनके द्वारा जिला के लोगों पर छोड़ा गया है,साथ ही कहा की वर्तमान गुजरते वक्त में एक महिला को अबला समझने की भूल करना पूरी तरह बेवकूफी है,क्योंकि अब महिलाएं अबला नहीं सबला बन रही हैं।