आख़िर कौन है वो खोखला समाजसेवी..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

झारखंड मुक्ति मोर्चा के युवा नेता अविनाश दुबे उर्फ टुनटुन द्वारा कल अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट किया गया जिसमें उनके द्वारा लिखा गया की जिसको दस आदमी बढ़िया से जानते तक नहीं हैं वो भी गढ़वा में समाजसेवी कहलाता है,सिर्फ़ रुपया होना और लंबा पहुंच परिचय होना ही समाजसेवी की परिभाषा नहीं है.. जैसे ही यह पोस्ट उनके द्वारा किया गया वो जहां एक ओर चर्चा का विषय बन गया वहीं उक्त पोस्ट पर प्रतिक्रिया भी आने लगा,देखते देखते सैकड़ो लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे डाली,अब सवाल उठता है की आख़िर उनके द्वारा किसे इंगित करते हुए ऐसा लिखा गया,मुझे जहां तक आभास हो रहा है उसके अनुसार उनकी नज़रों में उस व्यक्ति का चेहरा ज़रूर पेवस्त है जो बिना समाज की सेवा किए बिना ख़ुद को समाजसेवी कहता फिरता है,अब उनके द्वारा भले यह नहीं बताया जा रहा हो की वो किसके बारे में ऐसा लिखे हैं लेकिन गढ़वा से ताल्लुक रखने वाले तो कुछ कुछ समझ ही रहे हैं,यहां कहने और बताने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप बखूबी समझ और अनवरत देख भी रहे हैं की कैसे कोई सामाजिक काम करते हुए किसी असहाय लाचार को मदद कर समाजसेवा करने से कहीं ज्यादा तस्वीर लिवा और मीडिया में ख़बर प्रकाशित और प्रसारित करा ख़ुद को समाजसेवी बताया करते हैं,साथ ही मौक़ा गर मौक़ा कहते हुए भी सुने जाते हैं की और कोई कुछ कर रहा है बस मैं ही एक समाजसेवी हूं जिसके द्वारा समाज के लिए अनवरत काम किया जा रहा है,खैर जो भी हो लेकिन अविनाश दुबे द्वारा ऐसा पोस्ट कर के इस चर्चा के बाज़ार तो गर्म कर ही दिया गया है की आख़िर बाबा किसको नाप दिए..?