लोग बड़े बा उसूल होने लगे,वफ़ा करने वाले से बेवफ़ाई करने लगे


आशुतोष रंजन
गढ़वा

भोजपुरी इंडस्ट्री के मशहूर गायक और अभिनेता पवन सिंह द्वारा जब बेवफाई के गाने गाए जाते हैं तो शुरुआत में दो पंक्तियां ज़रूर बोली जाती हैं,मैं अक्सर उनके बेवफाई के गाने सुनता हूं,इसी क्रम में जब कल रात एक गाना सुन रहा था तो मुझे उनके द्वारा बोले गए दो पंक्ति बड़े अच्छे लगे की “जो दिखते थे हमेशा मासूम वो बेलेहाज हो गए,रह कर धोखेबाजों के साथ,अब वो भी धोखेबाज हो गए”, इन दो लाइनों को जो भी सुनेगा वो बार बार सुनना चाहेगा,और यह प्रासंगिक भी है,क्योंकि पहले का दौर कुछ और था जब लोग किसी से ज्यादा वफ़ा करते थे,क्योंकि बेवफ़ाई करना उन्हें आता नहीं था,किसी के द्वारा किए गए सहयोग और अहसान को आजीवन याद रखा करते थे,लेकिन वर्तमान गुजरते वक्त में जहां एक ओर आजीवन तो बहुत दूर की बात हो गई लोग चंद लम्हे भी याद रखना गंवारा नहीं करते, ऐसे में क्या यह कहना उचित नहीं होगा की लोग अब पूरी तरह से मतलब परस्त हो गए हैं,वो आपके साथ तब तक हैं जब तक उनका आपसे कोई मतलब है,साथ ही वो आपके हां में हां तब तलक ही मिलाएंगें जब तलक उनका कोई स्वार्थ आपसे सधता रहेगा,एक दो नहीं बल्कि आपके ज़रिए सैकड़ा स्वार्थ पूरा होने के बाद भी अगर मात्र एक चाहत भी अधूरी रह जाएगी तो लोग उस सैकड़ा स्वार्थ को एक पल में ही भूल जाएंगे और जिस ज़ुबान से वो आपका अच्छाई गान गाया करते थे,उसी ज़ुबान से वो लगातार आपकी बुराई करने में जुट जायेंगें,कहने का मतलब की कसमें,वादे प्यार वफ़ा सब,बातें हैं बातों का क्या..?

वफ़ा करने वाले से बेवफ़ाई करने लगे : – “हो कर उसूल से परे,लोग बड़े बा उसूल होने लगे,क्योंकि वफ़ा करने वाले से बेवफ़ाई करने लगे”, मैं यह कोई सिनेमाई डायलॉग नहीं बोल रहा,बल्कि हमारे आपके साथ भी ऐसा वाक्या जीवन में सामने आया होगा जब किसी के द्वारा बेवफ़ाई किया गया होगा,यहां पर बताने की ज़रूरत तो नहीं है क्योंकि उस वक्त दिल को कितना चोट पहुंचता है उसका अहसास उसे ही हो सकता है जो उस हालात से गुजरा हो,कल तक जुड़ा रहने वाला दिल एकदम से टूट कर बिखर जाता है,वहीं मन बैठ सा जाता है,और एक लंबे वक्त बाद अपने आप को किसी तरह हसंभालते हुए नए सिरे से एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करते हैं,इतना के बाद मन में एक बात ज़रूर घर कर जाता है की उनकी चिकनी चुपड़ी बातों पर ना विश्वास करेंगें,ना तो किसी से वफ़ा की आस करेंगें।