आज शाम से पहले राजनीति के उदीयमान सूरज का सूर्यास्त हो गया


आशुतोष रंजन
गढ़वा

अपराधियों का जो मंसूबा था वो सफ़ल हो गया,यानी की जान लेने के जिस उद्देश्य से अपराधियों द्वारा अयूब अंसारी को निशाना बनाया गया था उसमें उन्हें कामयाबी मिल गई,यानी उस गोलीबारी में उनकी मौत हो गई,अब हो सकता है कुछ हो हल्ला मचे,कई तरह की बातें हों,लेकिन पुलिस अपनी पुलिसिया जांच करेगी,जल्दी या देर सबेर अपराधी भी गिरफ्तार कर लिए जाएं,सारी कवायदें होंगी,लेकिन सवाल उठता है की अयूब अंसारी तो चले गए,एक लाइन में कहूं तो राजनीति के एक उदीयमान सूरज का शाम से पहले सूर्यास्त हो गया।

राजनीति के हरे साफे पर लाल खून:- हमने ख़बर का हेडिंग दिया है की अपराधियों ने बिखेर दिया राजनीति के हरे साफे पर लाल खून,आप बेशक इसका मतलब समझना चाह रहे होंगें तो आपको बताऊं की पत्रकारिता के शुरुआती दौर से अयूब अंसारी से परिचित था,गांव से शहर तक सबके दिलों तक जुड़ाव रखने वाले अयूब अंसारी एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम था जिनसे कोई एक बार मिलता था वो उनके व्यवहार से प्रभावित हो जाता था,राजनीति में अक्सर लोगों को काम से ज्यादा बेकाम के बोलते देखा और सुना जाता है लेकिन अयूब अंसारी के व्यक्तित्व को राजनीति प्रभावित नहीं कर पाया था वो बिल्कुल जुदा व्यक्ति थे,तभी तो वो किसी एक पार्टी में रहते हुए भी अन्य राजनीतिक दलों के भी चहेते थे,अरे हमें तो हरे साफे पर लाल खून बताना था न,आपको बताऊं की वो वर्तमान सत्ताधारी दल यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े हुए थे और पार्टी के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य थे,आपको यह जानकारी तो है ही की झामुमो नेताओं द्वारा कार्यक्रमों में गले में हरा गमछा लेने के साथ साथ माथे पर भी हरा साफा ही बांधा जाता है,जिसे पार्टी का प्रतीक कहा जाता है,तभी हमने कहा की आज अपराधियों ने राजनीति के हरे साफे पर लाल खून बिखेर दिया।

आख़िर मुख्य कारण क्या है.?:- कोई साधारण घटना भी घटित होने के बाद जब अक्सर चर्चाएं शुरू हो जाती हैं,तो लाज़िमी है की इतनी बड़ी घटना के बाद चर्चा तो हो ही रही होगी,जी हां हो रही हैं,जिस रूप में सबों के बीच उनकी पहुंच थी उसके अनुसार क्या आम,क्या ख़ास,क्या प्रशासनिक महकमा तो क्या राजनीतिक गलियारा,हर जगह देर शाम के बाद एक ही चर्चा बलवती है की आख़िर वो कौन सी वजह है जिसके चलते आज अपराधियों द्वारा राजनेता अयूब अंसारी की जान ले ली गई,जितनी मुंह उतनी बात,कोई पूछ रहा है की क्या कोई घरेलू कारण था,तो कोई गढ़वा में जड़वत जमीनी विवाद की बात कर रहा है की कहीं कोई जमीनी विवाद तो कारण नहीं,लेकिन सबसे अधिक अगर किसी बात को ले कर चर्चा है तो वो है राजनीति,लोग कहते सुने जा रहे हैं की क्या राजनीति में बढ़ता कद ही दुश्मन बन गया,क्या उनकी साफगोई वाली राजनीति किसी अपराधी किस्म के छुटभैये नेता को तो नहीं खटक गया,या जिस क्षेत्र से वो आते थे उधर के ही किसी ने उन्हें अपना प्रतिद्वंदी मानते हुए इन्हें रास्ते से हटाना मुनासिब समझा,हमने कहा न की चर्चाएं काफ़ी हो रही हैं,लेकिन इन सभी चर्चाओं का पटाक्षेप उसी रोज़ होगा जिस रोज़ इस घटना से जुड़े अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार करेगी और उन अपराधियों द्वारा यह बताया जाएगा की आख़िर वो कौन सी वजह है जिसे ले कर उनके द्वारा इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया,तो आइए अब हम सभी अयूब अंसारी को श्रद्धांजलि देते हुए उस रोज़ का बेसब्री से इंतजार करें।