सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली में देर शाम 8:00 बजे ली अंतिम सांस
एक धाकड़, जुझारू व ईमानदार नेता, बेबाक बयानों एवं रिश्वत नहीं लेने वाले नेता मंत्री के रूप में रहे प्रसिद्ध
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
गढ़वा जिला के कांडी प्रखंड के चोका निवासी प्रसिद्ध मजदूर नेता, पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे नहीं रहे। गुरुवार देर शाम 8:00 बजे सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे करीब 80 वर्ष के थे। चंद्रशेखर दुबे कांडी थाना क्षेत्र के पतिला पंचायत अंतर्गत चोका गांव के निवासी थे। उन्होंने अपनी राजनीति की यात्रा पतिला पंचायत के मुखिया के रूप में शुरू की थी। उसके बाद कोलफील्ड में एक मजदूर नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। इस बीच 1977 के विधानसभा चुनाव में विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार बाहुबली विधायक विनोद सिंह के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें हार मिली। पुन: 1980 के मध्यावधि चुनाव में भी वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़े। लेकिन इस बार भी वे चुनाव नहीं जीत सके। वर्ष 1985 के आम चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। इस बार उन्होंने विनोद सिंह को शिकस्त देकर बिहार विधानसभा के लिए चुन लिए गए। 1990 के चुनाव में भी लगातार उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की। पर 1995 में वह चुनाव हार गए। वर्ष 2000 में उन्होंने फिर से वापसी की। इस बार चुनाव जीत कर विधायक बनने के बाद बिहार सरकार में श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री बने। इसी बीच 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ। यहां भी राज्य सरकार में वह मंत्री रहे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वे धनबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुन लिए गए। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पुनः वापसी की। विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उन्होंने जीत हासिल की। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले महीने वे केदारनाथ की यात्रा पर गए थे। वहां से रांची लौटने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। चार दिन पहले मूत्र संबंधी कठिनाई को लेकर उन्हें दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां गुरुवार देर शाम करीब 8:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर को वापस लाए जाने की तैयारी की जा रही थी। वे अपने पीछे दो पुत्र, पुतोहू एवं पोते पोतियो से भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। इससे पहले उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बड़े पुत्र अजय दुबे एवं उनकी पत्नी चित्रा दुबे का भी निधन हो चुका है। ददई दुबे एक धाकड़, जुझारू व ईमानदार नेता के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। बेबाक बयानों एवं रिश्वत नहीं लेने वाले नेता मंत्री के रूप में उनकी प्रसिद्धि रही है। उनके निधन की सूचना पाकर क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग इस खबर की पुष्टि के लिए मीडिया कर्मियों के पास लगातार फोन कर रहे हैं।

