साल 1999 में कहे थे पूर्व केंद्रीय मंत्री
आशुतोष रंजन
गढ़वा
हर जनप्रतिनिधि का यही कहना होता है की उनके द्वारा अपने क्षेत्र में बिकास किया गया है,बदहाल इलाके के हालात को बदला गया है,लोगों के मुरझाए चेहरों पर खुशियां लाई गई हैं इसलिए उस विकासीय कार्य को तवज्जो देते हुए अगले चुनाव में क्षेत्र की जनता उन्हें ही चुनेगी यानी दुबारा विधायक बनाएगी,लेकिन ऐसा सोचना उनके लिए सही नहीं बल्कि गलत होता है क्योंकि इसी पलामू प्रमंडल से आने वाले और पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा गुज़रे साल 1999 में तत्कालीन अविभाजित बिहार के मंत्री को कह दिया गया था की केवल विकास जीत का पैमाना नहीं होता है,उनके द्वारा और क्या कहा गया था,आइए आपको बताते हैं।
तुम हार जाओगे : – अविभाजित बिहार में साल 1995 में विधानसभा का चुनाव हुआ था और पलामू प्रमंडल के एक क्षेत्र से एक राजनेता विधायक के रूप में निर्वाचित हुए थे,अगर हम यह कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की जिस क्षेत्र से वो निर्वाचित हुए थे उनके द्वारा उस क्षेत्र में विकास की बुनियाद रखी गई थी,और उस बुनियाद पर आगे चलकर चार वर्षों में उनके द्वारा विकास की बुलंद इमारत खड़ी की गई,क्षेत्र के हर गांव और हर टोले में उनके द्वारा उन सड़कों को बनवाया गया जिसके लिए लोग कई दशकों से बाट जोह रहे थे,जो बच्चे स्कूल भवन के बिना पेड़ के नीचे पढ़ा करते थे वहां भवन बनवाया गया,साथ ही साथ कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएं कार्यान्वित कराई गईं,ऐसा करते हुए चार साल गुज़रा और साल आया 1999 इसी साल में विधायक जी ज़रूरी काम वास्ते दिल्ली गए,तो काम से कुछ फुरसत मिलते ही वो पूर्व केंद्रीय मंत्री से मिलने पहुंचे,बातचीत के क्रम में विधायक जी द्वारा उनसे ख़ुद के द्वारा किए गए विकास की पूरी कहानी कही गई,उनकी कहानी सुन सामने साले पूर्व मंत्री खासा प्रभावित भी हुए,क्योंकि वो भी उस क्षेत्र से बखूबी वाक़िफ थे,सब कुछ सुनने के बाद जब विधायक जी वहां से निकलने को हुए तो पूर्व मंत्री द्वारा उनसे कहा गया की तुम्हारे पास डायरी तो होना चाहिए,तो इनके द्वारा उनके सामने डायरी बढ़ाया गया,और फिर उनके द्वारा यानी पूर्व मंत्री द्वारा उक्त डायरी में दो टूक में यही लिखते हुए अपना हस्ताक्षर किया गया की एक सच्चे जनप्रतिनिधि की जिम्मेवारी यही होती है की वो अपने क्षेत्र में विकास करे,और तुमने उस जिम्मेवारी को निभाते हुए क्षेत्र में विकास की बुनियाद रखते हुए बेहतर विकास किया,लेकिन केवल विकास करना ही जीत का पैमाना नहीं होता है इसलिए अगला चुनाव तुम हार जाओगे,और मैं आपको बताऊं की सही मायने में अपने क्षेत्र को विकास के मामले में अग्रणी बनाने वाले विधायक जी साल 2000 में हुआ अगला चुनाव हार गए,इस वाक्ये को ख़बर में समाहित करने का मेरा मक़सद मात्र इतना था कि जो जनप्रतिनिधि इस मुगालते में रहते हैं की उनके द्वारा विकास किया गया है इसलिए जनता अगली बार उन्हें ही अपना विधायक बनाएगी तो उनका ऐसा सोचना रात में ख़्वाब नहीं बल्कि दिन में देखा जाने वाला दिवास्वप्न जैसा होता है,क्योंकि जनता वोट देने वक्त विकास को नजरंदाज करते हुए ना जाने क्या क्या सोचते हुए वोट किया करती है।