चारों कमरों की छत से चूता है पानी, एक तरफ नींव सहित दीवार फट चुकी है तो छत की छड़ दिखती है
एक अजूबा स्कूल जिसके क्लासरूम में है शौचालय व बरामदे में खुली रसोई
हेडमास्टर कहते हैं कि पेपर में निकालने से क्या होगा
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
गढ़वा : गढ़वा जिलांतर्गत कांडी प्रखंड का एक सरकारी स्कूल डेढ़ सौ छात्र-छात्राओं की कभी भी जीवित समाधि में बदल सकता है। यह भयावह स्थिति वर्षों से बनी हुई है। लेकिन इससे विभागीय अधिकारियों को कुछ लेना-देना नहीं है। इस प्रकार उस भयावह दिन का इंतजार करते हुए बच्चे बच्चियां जान हथेली पर लेकर इस भवन में पढ़ाई कर रहे हैं। कांडी प्रखंड क्षेत्र के खुटहेरिया गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की स्थिति वर्षों से भयानक रूप में जर्जर हो चुकी है। इस विद्यालय में चार कमरे है। दो कमरे 17 साल पहले बनाए गए थे। जबकि दो कमरे उससे भी पहले करीब 20 साल पूर्व निर्मित हैं। वर्षों से चारों कमरों की छत से पानी चूता है। इन कमरों के छत के लिंटेल की छड़ दिखाई पड़ती है। जिसे देखकर डर लगता है कि कब न पूरा का पूरा छत नीचे आ जाए। एक कमरे की तो दीवार एवं छत केवल धंसी नहीं है। इसका एक भाग ढह गया है। कमरे में ही उसका मालवा रखा हुआ है। छात्र-छात्राओं को केवल इतनी ही त्रासदी नहीं झेलनी है। यह पहला विद्यालय है जिसमें पढ़ने वाले कमरे के अंदर ही शौचालय बना हुआ है। इसी कमरे में बच्चे पढ़ाई करते थे और इसी कमरे में शौच या लघुशंका करने जाते थे। वर्तमान स्थिति में तो वह शौचालय भी डैमेज हो गया। जो काफी दिनों से अनुपयोगी पड़ा हुआ है। वह तो भला हो कि यह विद्यालय गांव की आबादी के बीच में अवस्थित है। उस तरह की नैसर्गिक जरूरत होने पर निकट की छात्राएं अपने घर चली जाती हैं। लेकिन दूर से आने वाली छात्राओं को 6 घंटे तक भयंकर पीड़ा झेलनी पड़ती है। इसलिए की लड़के तो कहीं जाकर निपट लेते हैं। लेकिन लड़कियां आबादी के बीच में कहां जा सकती हैं। गौरतलब है कि छठी, सातवीं, आठवीं में सयानी लड़कियां भी पड़ती हैं। इस विद्यालय में वर्तमान में छात्राओं की संख्या 98 है। जबकि मात्र 57 छात्र यहां पढ़ते हैं। छात्रों से छात्राओं की दुगनी संख्या है। लेकिन उनके लिए कोई माकूल व्यवस्था विद्यालय में नहीं है। इस वर्ष जिस तरह की भारी बरसात हो रही है। इसमें हर समय डर सताता रहता है कि कब न विद्यालय भवन ध्वस्त हो जाए। यदि स्कूल चलते में इस तरह की घटना हुई तो यह विद्यालय कितने बच्चे बच्चियों की जीवित समाधि बन जाएगा इसे कहा नहीं जा सकता। इस विद्यालय की दुर्व्यवस्था का कहां तक वर्णन किया जाए। जहां बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं वहां केवल शौचालय ही नहीं है। विद्यालय के बरामदे में ही मध्यान्ह भोजन बनाने की रसोई का भी संचालन किया जाता है। यह भी बच्चों की पढ़ाई में बाधक है। स्थिति की भयावता की जानकारी होने पर खुटहेरिया पंचायत के पंचायत समिति सदस्य सह एक प्रबुद्ध नागरिक अभिनंदन कुमार शर्मा ने अन्य अभिभावकों के साथ विद्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने ही दैनिक भास्कर से विद्यालय की खतरनाक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि जब तक मीडिया में खबर हाईलाइट नहीं किया जाएगा विभाग की कुंभ कर्णी निद्रा नहीं खुलेगी। वर्षों से इस विद्यालय की स्थिति खतरनाक बनी हुई है। इस अवधि में कई अधिकारी एवं कर्मचारी विद्यालय का भ्रमण करने आए होंगे। लेकिन किसी ने इस भयावह स्थिति पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। इस मौेके पर एमडीएम में बच्चे खिचड़ी, चोखा व अंचार खा रहे थे। शनिवार के मेनू के तहत पापड़ नहीं था। पंचायत समिति सदस्य ने प्रखंड संसाधन केंद्र कांडी के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी वीरेंद्र प्रसाद से इस विद्यालय की पूरी स्थिति परिस्थिति बताई। उन्होंने कहा कि एक आवेदन लिख कर दे दीजिए।
इस विषय में विद्यालय के प्रधानाध्यापक छठू लाल से दैनिक भास्कर ने विद्यालय की स्थिति जाननी चाही। उन्होंने सीधे कहा कि पेपर में निकलने से क्या होगा। वहीं बार बार रिंग होने के बाद भी फोन नहीं उठाने के कारण जिला शिक्षा अधीक्षक अनुराग मिंज का पक्ष नहीं लिया जा सका।


