पशुओं में लंपी वायरस का प्रकोप तेज, तीन मरे, सैकड़ों आक्रांत

पशुओं में लंपी वायरस का प्रकोप तेज, तीन मरे, सैकड़ों आक्रांत

कांडी में मनुष्य व पशुओं के इलाज की व्यवस्था शून्य

जिला सहित 6 प्रखंडों के प्रभारी डॉक्टर के जिम्मे कांडी व 3 प्रखंडों के प्रभार में केतार

 

दिवंगत आशुतोष रंजन

 

प्रियरंजन सिन्हा

बिंदास न्यूज, गढ़वा

 

गढ़वा : गढ़वा जिलांतर्गत कांडी प्रखंड एक ऐसा प्रखंड है जहां मनुष्यों से लेकर पशुओं के इलाज की कोई मुकम्मल सरकारी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यहां मनुष्यों के साथ-साथ समस्त पालतू पशुओं को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। आप जिएं या मरें आपकी बला से। इस बात की और खुलासा करें तो प्रखंड मुख्यालय कांडी में मनुष्यों के इलाज के मामले में नाम बड़े और दर्शन थोड़ा की स्थिति है। देखने के लिए तो बड़ा सा 3 करोड़ी भवन खड़ा है। लेकिन उसमें ना तो डॉक्टर हैं, ना स्टाफ और ना पर्याप्त दवाएं। इससे भी बदतर हालात पशु स्वास्थ्य की है। मालूम हो कि मनुष्यों से पशुओं की संख्या कई गुना ज्यादा है। लेकिन कांडी में वर्षों से कोई भेटनरी डॉक्टर की स्थाई पोस्टिंग नहीं है। दशकों पूर्व छोटा सा दो कमरे का भवन बना हुआ है और इलाज के नाम पर यहां एक कंपाउंडर कामता सिंह मात्र उपलब्ध हैं। इसी प्रखंड के हरिहरपुर में वेटेरनरी डॉक्टर अमित कुमार सिंह की पोस्टिंग है। जो जिला मुख्यालय सहित 6 अस्पतालों के प्रभार में हैं। वह कांडी में कितना समय दे पाते होंगे और कितने मवेशियों का इलाज कर पाते होंगे यह खुद समझने की चीज है। इन दिनों गोवंशीय पशुओं में एक बार फिर लंपी वायरस नामक लाइलाज बीमारी का भयंकर प्रकोप हो चुका है। यह एक संक्रामक बीमारी है। इसका प्रसार बहुत तेजी से होता है। संप्रति कांडी प्रखंड के नयनाबार निवासी रमेश यादव के दो पशुओं को लंपी वायरस का अटैक हो चुका है। इसी तरह से मझिगावां गांव के सखुइया टोला में भी लंपी वायरस का प्रकोप हो चुका है। इधर कांडी प्रखंड क्षेत्र के पंचायत मुख्यालय सह गांव हरिहरपुर में भी पशुओं में लंपी वायरस का अटैक हो चुका है। वही डॉ अमित कुमार ने बिंदास न्यूज से बात करते हुए कहा कि केवल नयनाबार व म़झिगावां गांव के दो-दो पशुओं में लंपी वायरस पहुंच चुका है। इधर डुमरसोता गांव के भाजपा नेता विनोद कुमार दुबे के दो पशुओं को भी लंपी वायरस का प्रकोप हो चुका है। जबकि नयनाबार गांव में पूर्व मुखिया सह भाजपा नेता विनोद प्रसाद के भी दो पशु लंपी वायरस की चपेट में आ चुके हैं। लेकिन कांडी पशु अस्पताल के ही कंपाउंडर कामता प्रसाद सिंह ने कहा कि सभी गांवों में इसका प्रकोप हो चुका है। वहीं कांडी के पड़ोसी प्रखंड केतार की बात करें तो मेरौनी गांव में हरिनंदन मेहता के दो, रामधनी मेहता के दो, विनोद मेहता के एक, श्याम नंदन मेहता के एक,गोरखनाथ तिवारी के दो मवेशी लंपी वायरस से आक्रांत हो चुके हैं। वहीं चौरा एवं लोहरगाड़ा गांव में भी लंपी वायरस का प्रकोप हो चुका है। मेरौनी निवासी निजी पशु चिकित्सक डॉ अमरेश कुमार तिवारी ने कहा कि सभी गांवों में लंपी वायरस यानि लंपी स्किन डिजीज – एलसीडी का प्रकोप हो चुका है। जो तेजी से बढ़ रहा है। इस वायरस के प्रकोप से मेरौनी निवासी कस्तूरी तिवारी, अरुण पाठक एवं सच्चिदानंद तिवारी के एक-एक मवेशी मर चुके हैं। उन्होंने कहा कि नवजात पशु को अगर बीमारी हो रही है तो वह बच नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी इस बीमारी में होम्योपैथिक दवा कारगर है। लेकिन होम्योपैथिक दवा यहां मिलती ही नहीं है। वह दवा मेदिनी नगर में उपलब्ध है। जिससे पर्याप्त मात्रा में यहां दवा उपलब्ध कराया जाना मुश्किल है। कहा कि एलोपैथिक दवा चलाने से मवेशियों की बीमारी और उग्र रूप धारण कर ले रही है। जिस के बचने की संभावना क्षीण हो जा रही है। इसलिए होम्योपैथिक दवा खिलाने एवं नीम की पत्ती उबाल कर इस पानी से घाव को धोना लाभ पहुंचा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में काफी संख्या में इस इलाके में लंपी वायरस से पशुओं की मृत्यु हुई थी। 

क्या होती है तकलीफ: यह वायरस से होनेवाली बीमारी है। जिसमें तेज बुखार के साथ पूरे शरीर में चेचक की तरह फफोले निकल जाते हैं। जो बारी बारी से फूटकर जख्म बन जाता है। जिससे पांव में भी सूजन के साथ घाव हो जाता है। आक्रांत मवेशी को अलग रखना होता है। वरना एक साथ खानेवाले पशु को भी यह रोग हो जाता है। मवेशी खाता भी नहीं है। अभी तक इसकी कोई दवा और टीका नहीं आया है। 

लंपी वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इसके इलाज की सरकारी व्यवस्था की बात करें तो कांडी प्रखंड के लिए प्रभारी चिकित्सक डॉ अमित कुमार सिंह ने बिंदास न्यूज से बात करते हुए कहा कि आज वह जिला मुख्यालय में हैं। यहां बहुत से काम निपटाना है। इसके अलावा कांडी के साथ-साथ अन्य कई प्रखंडों के प्रभार में हैं। जो कहीं भी पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इसी तरह से केतार प्रखंड के गांव में भी यह वायरस तेजी से फैल रहा है। हर गांव में इसके पीड़ित मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इलाज की बात करें तो भवनाथपुर, केतार एवं खरौंधी तीनों प्रखंडों के लिए डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह प्रभारी पशु चिकित्सक हैं। बिंदास न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके आलावे उनको एसिस्ट करने वाला कोई भी आदमी उपलब्ध नहीं है। झाड़ू कौन लगाएगा, ताला कौन खोलेगा, मावेशियों के इलाज में सहयोग कौन करेगा। पंजी में लिखा पढ़ी कौन करेगा। इसके लिए कोई एक भी स्टाफ उपलब्ध नहीं है। पीर, बावर्ची, भिश्ती, खर बनकर सारा काम अकेले उन्हीं को निपटाना है। यह कैसे और कितना संभव है इसे आसानी से समझा जा सकता है।

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Ashutosh Ranjan

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