स्थानीय सौ गावों के साथ अन्य जिलों व प्रदेशों के छठव्रतियों ने किया छठ
इसबार 3 लाख लोगों के आने से सुविस्तृत क्षेत्र में भी तिल रखने की जगह नहीं बची
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दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
गढ़वा : लोक आस्था के महापर्व के बड़ा उपवास की संध्या प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सतबहिनी झरना तीर्थ के चारों तरफ से छठ का गीत गाते निराहार व्रतियों का मानों सैलाब उमड़ता आ रहा है। इनमें रंग बिरंगे वस्त्र धारण किए पैदल व्रतियों व विभिन्न छोटी बड़ी सैकड़ों गाड़ियों पर सवार व्रतियों – दोनों की संख्या शामिल है। इस उत्कृष्ट धार्मिक पर्यटन स्थल पर पहुंचते ही अक्षत जौ फूल आदि से जल जगाने के बाद व्रतियों ने मनोरम झरना व नदी की धारा में स्नान कर भींगे वस्त्र में ही जल में खड़ी होकर एक, दो, पांच व सात सूपों में फल, अगरौटा, फूल, पान, धूप, दीप आदि सजाए परिक्रमा करते हुए अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशि जगत्पते अनुकंप्यं मां भक्त्यां गृहाणार्घ्यं दिवाकर मंत्रोच्चार के साथ अर्घ्य दिया। पुरोहित पं. आदित्य पाठक व पं. प्रवीण पांडेय व अन्य ने दूध व जल से अर्घ्य दिलाया। इसके बाद आंचल में जल के बीच से नदी की पवित्र मिट्टी लेकर अपने अपने थाला पर अस्तरण माई की स्थापना की। इस बीच चारों तरफ से गुंजते छठ गीतों की मधुर स्वर लहरी से भक्तिमय वातावरण का सृजन हो रहा था। मौके पर पूजन हवन के बाद सभी व्रतियों ने नदी की जलधारा में श्रद्धापूर्वक दीप दान किया। जल में जलते दीयों व मंदिरों पर सजे रंग बिरंगे लाइटिंग का प्रतिविम्ब एक अलौकिक दृश्य का सृजन कर रहा था। यहां यह स्पष्ट दिख रहा था कि छठ घाट पर कोई ऊंचा नहीं, कोई नीचा नहीं। बल्कि वहां सभी एक ही सूरज के सामने खड़े होते हैं, एक ही अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ का घाट ऐसा स्थान है जहाँ समाज की सारी दीवारें गिर जाती हैं। ना कोई छुआ-छूत है और ना कोई भेदभाव है। स्त्रियां और पुरुष, अमीर और गरीब, शहरी और ग्रामीण सब एक साथ खड़े होकर केवल एक ही स्वर में कहते हैं कि हे सूर्य देव , सबके जीवन को प्रकाशित करना। यही वह क्षण है जब भारतीय समाज अपने सबसे पवित्र, सबसे मानवीय रूप में दिखाई देता है।
इधर यज्ञशाला मैदान, नवीन यज्ञ मंडप, संगीत मंडप, तीनों छठ घाट, झरना घाटी, मेला मैदान, बजरंग बली मंदिर प्रांगण, सूर्य मंदिर, प्लांटेशन एरिया के साथ साथ तालाब के निकट का स्थान व्रतियों से खचाखच भरा है। इसके अलावे आजू बाजू के स्थान पर भी लोगों ने बैठने का स्थान बना रखा है। इस दौरान स्थानीय सौ गावों के साथ अन्य जिलों व दूरस्थ प्रदेशों के भी व्रती शामिल हैं। हालांकि संध्या अर्घ्य के समापन के समय से ही हल्की वर्षा होने लगी। फिर भी तमाम व्रती डटे रहे। उन्होंने भगवान भास्कर व छठी मइया के पूजन, कथा श्रवण के बाद गीत गाते अखंड दीप जलाते हुए रात्रि जागरण किया। सुबह में उदीयमान सूर्य का दर्शन करके सबों ने अर्घ्य दिया। इसके बाद सबों ने हवन करने के बाद महाव्रत का विसर्जन किया। सतबहिनी झरना तीर्थ में छठ महाव्रत के इतिहास में इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
प्रशासन रहा मुस्तैद :- सतबहिनी झरना तीर्थ में छठ के भीड़ भरे आयोजन को सफल बनाने को लेकर पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा। तो दूसरी तरफ सिविल प्रशासन भी जायजा लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश देता रहा। कांडी थाना प्रभारी मो अशफाक आलम दल बल के साथ दोपहर से ही व्यवस्था को सुचारू बनाने में जुटे थे। जबकि अनुमंडल पदाधिकारी सदर संजय कुमार ने भी संपूर्ण तीर्थ क्षेत्र में घुमकर स्वयं स्थिति का जायजा लिया। बीडीओ सह सीओ राकेश सहाय ने भी मौके पर पहुंच कर स्थिति पर नजर बनाए रखी।
अध्यक्ष सह विधायक भी पूरी अवधि स्वयं रहे मौजूद :- मां सतबहिनी झरना तीर्थ एवं पर्यटन स्थल विकास समिति के अध्यक्ष सह विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेश प्रसाद सिंह बड़ा उपवास के दिन और रात सतबहिनी झरना तीर्थ में स्वयं बने रहकर आवश्यक दिशा निर्देश देते रहे। हालांकि महापर्व की तैयारी में भी उन्होंने इस बार पूरा समय दिया है।








