15 लाख का ईनामी था छोटू खरवार
आशुतोष रंजन
गढ़वा
नक्सली संगठन आपसी संघर्ष के कारण कैसे ख़त्म हो गया आज एक बार फ़िर से उसकी बानगी तब देखने को मिली जब केवल कुख्यात ही नहीं बल्कि लंबे वक्त तक आतंक का पर्याय बना 15 लाख का ईनामी नक्सली कमांडर की हत्या कर दी गई,वो कौन था और किस इलाक़े में उसकी सक्रियता थी,साथ ही कहां उसकी किस कारण हत्या की गई,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।
नक्सली छोटू को मारी गई बड़ी गोली : – पिछले कई सालों से नक्सली संगठन माओवादियों के बीच आपसी संघर्ष चरम पर है,जिसका ही नतीज़ा है कि संगठन ख़त्म ही नहीं बल्कि जमींदोज़ होने के कगार पर आ पहुंचा है,इसी बीच उक्त संघर्ष पर विराम लगाने को ले कर लातेहार के भीमपाव जंगल में एक बैठक बुलाई गई थी,बैठक के बीच में ही छोटू खरवार एवं एक दूसरे नक्सली के बीच विवाद बढ़ा और इसी दरम्यान संगठन के एक नक्सली द्वारा छोटू को गोली मार दी गई,जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई,घटना के बाद सभी नक्सली उसके शव को जंगल में ही छोड़ कर भाग गए,उधर चरवाहों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस द्वारा मौके पर पहुंच शव को बरामद किया गया,यहां पर यह भी बताएं कि छोटू खरवार एक लंबे वक्त तक लातेहार के जंगली इलाक़े के साथ साथ बूढ़ा पहाड़ एवं उस क्षेत्र में उस वक्त तक आतंक का पर्याय बना हुआ था जब पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराने का अभियान चलाया जा रहा था,जब बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों से मुक्त हुआ तो छोटू अपने छोटे दस्ते के साथ लातेहार के जंगली इलाक़े में रह कर वजूद बचाने को ले कर संघर्ष कर रहा था,लेकिन वजूद के संघर्ष पर आपसी संघर्ष भारी पड़ा और छोटू को बड़ी गोली मार कर उसकी कहानी ही ख़त्म कर दी गई,जिस तरह पुलिस और सीआरपीएफ प्रयासरत है उसके अनुसार यही कहा जा सकता है कि बहुत जल्द गढ़वा जैसा पूरा झारखंड नक्सली मुक्त हो जायेगा।