अपने अंदाज़ के इकलौते राजनेता हैं सत्येंद्र नाथ


आशुतोष रंजन
गढ़वा

मैं उतना पढ़ा लिखा तो नहीं हूं लेकिन कभी पढ़ा था की ना अति वर्षा,ना अति धूप,ना अति वक्ता और ना अति चुप,जिसका तात्पर्य है की किसी चीज का अति काफ़ी नुकसानदायक होता है,तभी तो मैं कहूं की हम जैसे आम आदमी का जीवन हो या किसी राजनेता का राजनैतिक जीवन,हर जगह अति हानि ही पहुंचाता है,ऐसे तो आम लोगों के जीवन में नहीं होता है पर राजनैतिक जीवन में नेताओं को हर क़दम पर आरोप प्रत्यारोप के बीच जिंदगी गुजारनी होती है,लेकिन इस क्षेत्र में भी कभी किसी राजनेता के बारे में कुछ अति बोलना बोलने वाले के सेहत के लिए नुकसानदायक तो जिसके बारे में बोला जा रहा है उसके लिए लाभदायक सिद्ध हो जाता है,दरअसल बात हम झारखंड के गढ़वा से जुड़ी राजनीति की कर रहे हैं जहां कुछ अंतराल से विपक्ष यानी भाजपा के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी द्वारा बोले गए किसी भी अल्फाज़ को सत्तापक्ष द्वारा मज़ाक बनाया जा रहा है,कहीं उनके द्वारा किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिए गए संबोधन में से कुछ अंश को अलग कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए मज़ाक बनाया जा रहा है,कोई कुछ लिख रहा है तो कोई कुछ लिख रहा है,तभी मेरा कहना है की सत्तापक्ष द्वारा किया जा रहा यह मज़ाक वक्त आने पर कहीं ख़ुद के लिए कहीं मज़ाक ना बन जाए,क्योंकि इतना के बाद भी पूर्व विधायक की चुप्पी और गंभीरता उसी ओर इशारा कर रही है।