गढ़वा से आशुतोष
सास के बढ़की आऊ छोटकी गोतनी के आऊ अगल बगल सबके आ गईल लेकिन पता नाही हमार कईसन खाता बा की ओकरा में अभियो तक नाही आइल,आऊ रउआ कईसन पत्रकार ही की सबके ख़बर आऊ जानकारी रखत ही लेकिन घरे के बारे में कुछु मालूम नईखे,ई कहना बा गढ़वा के एक पत्रकार के मेहरारू के,जे बेरी बेरी बोल बोल के आपन मरद के परेशान कईले बाड़ी,उनका ई बात के दुख नईखे की हमार खाता में मईयां सम्मान योजना वाला पच्चीस सौ नईखे आइल,सबसे जादे दुख ई बात के बा की सास आऊ गोतनी सबके आ गईल,ओने बोली सुन सुन के पत्रकार भी का करस उहो दिन भर में बेरी बेरी बैंक में जात बड़े,जहवां उनका इहे सुने में आवत बा की बारी बारी से सभी के खाता में जा रहा है,आपकी पत्नी से सरकार की कोई दुश्मनी थोड़े है कि उनके खाते में उक्त पैसा नहीं जायेगा,और आप एक पत्रकार हो कर और सभी जानकारी से अवगत होने के बाद भी बार बार बैंक पहुंच ऐसा कैसे कह रहे हैं लेकिन ऊ मैनेजर साहेब से इहे कहत बाड़े की हम त सब जानत आऊ बुझत ही लेकिन अब आपन मेहरारू के कईसे समझाऊं,एतना कह के जब ऊ घरे गईले त अबकी बार जे उनका के मेहरारू कहली त ऊ सुन के बहुते जादे उनका ख़राब लागल,तब ऊ रांची देन मुंह कर के कहले की धिक्कार बा तोहरा बनल के पत्रकार,कह के मेहरारू बड़ी लड़त बा ये सरकार |