क्या कार्रवाई होने की सच में है आशा या प्रशासन ने दिया झूठा दिलासा.?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

अगर मेरे अलावे किसी और को मौका मिले तो वो तनिक भी देर ना करे यह लिखने में की मेरे द्वारा लिखे गए ख़बर के बाद सजग हुआ प्रशासन और हड़ताल ख़त्म करा लिया गया,लेकिन मैं नहीं लिखूंगा,क्योंकि प्राथमिकी के विरुद्ध कार्रवाई करने में भले गढ़वा जिला प्रशासन कमज़ोर साबित हो रहा हो पर डॉक्टरों द्वारा जारी पांच दिनी हड़ताल को ख़त्म कराने में मज़बूत साबित हुआ,और मज़बूत क्यों ना हो,दोनो मुखिया यानी सिविल प्रशासन के प्रमुख उपायुक्त शेखर जमुआर और पुलिस प्रशासन के मुखिया यानी पुलिस कप्तान अंजनी कुमार झा अपने कार्य के प्रति पूरी तरह जवाबदेह हैं,और जब कप्तान ही जिम्मेवार हैं तो बेशक समझा जा सकता है की उनके टीम के खिलाड़ी यानी अधिनस्थ अधिकारी कितने दायित्व बोध वाले होंगें,सो प्रशासनिक अधिकारियों का पांच रोज़ का प्रयास आज उस वक्त मूर्तरूप लिया जब आज उपविकास आयुक्त राजेश कुमार राय,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अवध कुमार यादव एवं शहर थाना प्रभारी चंदन कुमार हड़ताली डॉक्टरों के पास सदर अस्पताल पहुंचे,जहां कुछ देर के मनुहार के बाद आखिरकार डॉक्टरों का दिल पसीजा और उनके द्वारा हड़ताल को वापस ले लिया गया,लेकिन दूसरी ओर हम यह भी बता दें कि जहां एक ओर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हड़ताली डाक्टरों से जिलेवासियों का हवाला दिया गया तो वहीं दूसरी ओर उन्हें आश्वस्त किया गया की आप धरती के भगवान हैं यह साबित करने की ज़रूरत नहीं है,आम आवाम हो या हम हों बीमार होने पर हर किसी का जीवन आपके ही भरोसे है,इसलिए आपकी मांगों के अनुरूप प्रशासन कार्य कर रहा है और कुछ रोज़ के अंतराल में उस निमित कार्रवाई निश्चित होगी,और आपको हर तरह से पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा भी दी जाएगी,उधर मानवता के आधार के साथ साथ कार्रवाई वाले उसी आश्वासन के आधार पर डॉक्टरों द्वारा सबके सामने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की गई।