अभी भी जारी है हड़ताल


आशुतोष रंजन
गढ़वा

मैं तो ऐसे भी पढ़ाई करने में बेहद कमज़ोर था,ना तो कभी गणित का जटिल सवाल हल करने आया और ना ही जीवविज्ञान और रसायनशास्त्र के प्रश्न का ही उत्तर दे पाया,किसी किसी तरह बस पास होने आया,मेरे कहने का मतलब की बहुत ज्यादा और काफ़ी ईमानदारी से मेहनत करने के बाद ही कोई डीसी,एसपी डॉक्टर और इंजीनियर बन पाता है,साथ ही लोगों से हमने यह भी सुना है की इतना ज़्यादा पढ़ाई करने से कभी कभी मानसिक संतुलन भी गड़बड़ा जाता है,जो अब कुछ हड़ताली डॉक्टरों पर लागू होता दिख रहा है,क्योंकि एक ओर जहां सालों तक पढ़ाई कर के दिमाग़ बोझिल हुआ है,तो दूसरी ओर सालों से जारी कई तरह के मरीजों के इलाज़ के कारण भी मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है तो इधर दुर्व्यवहार और मारपीट के कारण किए गए पांच दिनी हड़ताल के कारण अपना व्यवसाय भी नहीं कर पा रहे हैं सो इस शुरुआती गर्मी में थोड़ा गड़बड़ा जाना लाज़िमी है,जैसा की आज दो डॉक्टरों के बयान से परिलक्षित हो रहा है,क्योंकि डीडीसी के वार्ता के बाद “जानिए कैसे ख़त्म हुई डॉक्टरों की हड़ताल” शीर्षक से मैं जो ख़बर लिखा उसे पढ़ कर पत्रकार मित्रों के साथ साथ कई पाठकों ने मुझे फोन किया और कहा की आप कैसे लिख दिए की हड़ताल ख़त्म हो गया,हड़ताल तो अभी जारी ही है,तो मैं भी आवाक रह गया,क्योंकि मैं तो डॉक्टर सह IMA के पदाधिकारी निशांत सिंह के उस बयान के आधार पर लिखा जिसमें उनके द्वारा कहा गया की डीडीसी,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और शहर थाना प्रभारी के प्राथमिकी आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई वाले आश्वासन के आधार पर फिलहाल हड़ताल वापस ले रहा हूं,लेकिन अब सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह का जो बयान मेरे पास आया है उसमें वो बोल रहे हैं की अब यह हड़ताल किसी एक जिले का नहीं बल्कि राज्य स्तरीय हो गया,इसलिए जो निर्णय होगा वो राज्य स्तर के हमारे वरीय पदाधिकारियों का होगा,हां हमने प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन की जानकारी प्रदेश के पदाधिकारियों को से दी है,लेकिन हड़ताल जारी था और जब तलक कोई निर्देश नहीं आता है तब तक जारी रहेगा,अब आप ही बताइए मैं किसके बातों को सच मानूं,किस पर यकीन करूं,बड़ा असमंजस है भाई,खैर बात कुछ भी हो प्रशासन अपने आश्वासन पर कायम रह कर कार्रवाई करे ताकि सच में हड़ताल वापस हो और हलकान हो रहे जिलेवासियों को राहत मिल सके।