अभी तो आगाज़ हुआ है,अंजाम अभी बाक़ी है: सत्येंद्र नाथ


आशुतोष रंजन
गढ़वा

दो सौ लोग हो लिए साथ,जब आह्वान किए सत्येंद्र नाथ,आपको इस को लाइन पढ़ कर यही महसूस हो रहा होगा की अरे यह तो ऐसे ही बात बना कर लिखा करता है लेकिन मैं बताऊं की यह वो कोरी सच्चाई है जो कल झारखंड के गढ़वा जिला में उस वक्त नुमाया हुआ जब एक दो और पचास सौ नहीं बल्कि एक साथ दो सौ लोगों ने कई दलों को छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया,लेकिन यह संभव ऐसे ही नहीं हुआ,बल्कि इसके लिए भाजपा के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने लोगों से आह्वान किया था,और उनके एक आह्वान पर भाजपा में आस्था और उन पर विश्वास ज़ाहिर करते हुए दो सौ लोगों ने अपने वर्तमान राजनीतिक पार्टी को छोड़ने का निर्णय लिया और गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में अवस्थित लगमा ब्रह्मस्थान परिसर में आयोजित जनचौपाल जहां पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे थे,उक्त कार्यक्रम में भाजपा का दामन थाम लिया,मौक़े पर पूर्व विधायक ने क्या कहा,आइए आपको बताते हैं।

अंजाम दिखाना अभी बाक़ी है: -ऐसे तो आयोजित कार्यक्रम को पूर्व विधायक ने संबोधित किया ही लेकिन जब बड़ी संख्या में लोग भाजपा में शामिल हुए तो उसके बाद उन्होंने एक पंक्ति “अभी तो हमने आगाज़ दिखाया है,दिखाना अंजाम अभी बाक़ी है,यह तो ट्रेलर है मेरे भाई,पूरी फिल्म दिखाना अभी बाक़ी है”,से अपने चिरपरिचित अंदाज़ में बात की शुरुआत करते हुए कहा की जानते हैं हमरा विरोधी सब कह रहा था की हम सुतल हैं,मतलब हम राजनीति नहीं कर रहे हैं,अरे भाई,मेरी राजनीति को समझने के लिए दिमाग़ नहीं दिल लगाना पड़ता है,काहे की मेरा लोगों से जुड़ाव दिमाग़ से नहीं,दिल से है,यहां सोचने वाली बात है की अगर मेरा जुड़ाव दिल से नहीं होता तो मेरे एक आह्वान पर सैकड़ो लोग अपनी पार्टी को छोड़ देते.!,यह बताने नहीं बल्कि ख़ुद देखने की चीज़ है की कैसे एक साथ दो सौ लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया,कहा की मैं जब मंच पर था और उन लोगों को देख रहा था जिन्हें शामिल होना था,तो बताऊं की उनके चेहरे कैसे बुझे हुए थे,कहने का मतलब की वो जिस पार्टी में इतना दिन से थे वहां वो पूरी तरह घुटन महसूस कर रहे थे,खुली आज़ादी से दूर बंधन की तरह रह रहे थे जो उनके चेहरे को देख कर स्पष्ट हो रहा था,पर जब वो भाजपा में शामिल हुए,तो उनके मुरझाए चेहरे पर एकाएक चमक सी आ गई,खिल उठा उनका वही चेहरा जो चंद लम्हा पहले बुझा हुआ था,साथ ही कहा की अभी दो सौ से तो आगाज़ हुआ है,शामिल होने का यह सिलसिला जब अंजाम पर पहुंचेगा तो संख्या भी लाख तक होगा,क्योंकि एक ओर जहां लोग भाजपा में आस्था जता रहे हैं वहीं मेरे एक आह्वान पर शामिल हो कर बदलाव करने की अपनी मंशा को भी बता रहे हैं।