विधायक भानु की चिट्ठी,मंत्री मिथिलेश के नाम


आशुतोष रंजन
गढ़वा

मैं बेशक लिख रहा हूं,लेकिन लिखते वक्त भी दिली शिद्दत से महसूस कर रहा हूं की मेरे इस पत्र को आप राजनीतिक चश्मे से ही देखेंगे,पर मैं कोई राजनीतिक बात नहीं बल्कि ज़मीनी सच्चाई उल्लेखित कर रहा हूं,उक्त बातें बेबाक बोलने और लिखने वाले भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने गढ़वा विधायक सह सूबे के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर को एक पत्र लिखते हुए कही,किस विषयक उनके द्वारा उक्त पत्र को लिखा गया,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताता हूं।

बिन पानी विरान है जिंदगानी: – बयां कर रहा हूं मैं करुण कहानी,बिन पानी विरान है जिंदगानी”,जी हां मुझे यहां ख़ुद भी बताने की ज़रूरत नहीं आप दशकों से इस विकराल समस्या से वाक़िफ हैं की अपने राज्य झारखंड का दो जिला पलामू और गढ़वा दशकों से सिंचाई के साथ साथ पीने की पानी की समस्या से दो चार हो रहा है,अनावृष्टि वाले इन दो जिलों के लोगों के उपजाऊ खेत जहां एक ओर सिंचाई के माकूल साधन बिना बंजर पड़े रहते हैं वहीं पीने की पानी नहीं होने के कारण हलक सूखते रहते हैं,आसमान की ओर टकटकी लगाए रहने वाले यहां के लोग नहीं चाहते की अपने यहां गर्मी के मौसम का आगाज़ हो,क्योंकि गर्मी की शुरुआत के पहले ही लोगों के पहुंच से पानी कोसो दूर हो जाता है,जब मौसम अंजाम पर पहुंचता है तो उस विषम हालात को शब्दों में वही बयान कर सकता है जो प्रतिक्षण उससे दो चार होता है,साथ ही यह भी कहूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की खेत को सिंचित करने से ले कर लोगों के हलक तक तर करने के निमित योजना बनाने और उसे मूर्तरूप तक दे देने को ले कर दशकों से राजनीतिक वायदे होते रहे,पर अफ़सोस नेक नियति और ईमानदार प्रयास बिना सभी वायदे धरे के धरे रह गए,आलम है की आज तलक हालात जस का तस बना हुआ है,इसी करुण हालात को मैं अपने पत्र में उल्लेखित किया हूं।

काश आप हालात को नज़र करते: – पत्र में पानी बिना विरान हो चुकी जिंदगानी की विषम कहानी को बयां करते हुए भानु ने यह भी ज़रूर कहा की मेरे इस पत्र को राजनीतिक चश्मे से देखने के बजाए काश आप हालात को नज़र करते,विधायक द्वारा पत्र में कहा गया की मेरे विधानसभा क्षेत्र के खरौंधी प्रखंड के साथ साथ सभी प्रखंडों में लोग पीने की पानी की समस्या से दो चार हो रहे हैं,जहां एक ओर आधे चापाकल सुख चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर आधे खराब पड़े हुए हैं,उधर नल जल योजना भी अपूर्ण है,ऐसे विषम हालात को समझने के लिए उसे क़रीब से नज़र करने की ज़रूरत है,क्योंकि आप जब अपने विभागीय अधिकारी से जानकारी लेंगे तो आप सरकारी कार्यप्रणाली से बखूबी वाक़िफ हैं की वो सही हालात आपको नहीं बताएंगे,वो एक ही लाइन में आपसे यही कहेंगे की पानी की समस्या नहीं है,लेकिन मैं एक बार फ़िर कह रहा हूं की मैं ना तो सदन में और ना ही बाहर में कभी खाली बात ना तो बोलता हूं और ना ही लिखता हूं,जो वस्तुस्थिति होती है उसे ही बयां करता हूं,इसलिए केवल तुष्टिकरण की राजनीति करने के दरम्यान मेरे इस पत्र को भी एक राजनीतिक पत्र ना समझते हुए भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र सहित पूरे राज्य को इस विषम हालात से निजात दिलाएं।