सोचिए क्या सोच रहे हैं आज के छात्र


आशुतोष रंजन
गढ़वा

हम आप सभी मैट्रिक बोर्ड के साथ साथ कई परीक्षाओं से गुज़रे हैं,उस वक्त को याद कीजिए जब परीक्षा हॉल में बैठते थे तो मन में एक डर सा माहौल रहता था,मन में यह भी सोच रहा करता था की कहीं कुछ गलत ना लिखा जाए,आगे की ज़िंदगी का सवाल है,यह उस वक्त की बात हो गई पर वर्तमान गुजरते वक्त में छात्र क्या सोच और लिख रहे हैं,आइए आपको बताते हैं,जब आप जानिएगा तो निश्चित रूप से सोच में पड़ जाइएगा।

इसे ही कहते हैं परोपकार: – आप इस जानकारी से तो वाक़िफ हैं की पिछले दिनों मैट्रिक बोर्ड और इंटर का परीक्षा हुआ है,फिलवक्त कौपी जांच का काम हो रहा है,लेकिन जांच रहे शिक्षकों को कौपी में जो दिख रहा है उसे देख वो हतप्रभ रह जा रहे हैं,आपको बताएं की पलामू में हजारीबाग और चतरा के छात्रों की कौपी जांची जा रही है,उसी जांच के क्रम में एक छात्र के कौपी में लिखे जवाब को देख शिक्षक सोच में पड़ गए,क्योंकि सवाल था की परोपकार क्या है,उक्त सवाल के जवाब में छात्र ने लिखा की लड़की की स्कूटी में तेल भरवाना ही परोपकार है,अब आप सोचिए की जो छात्र इतने सालों की पढ़ाई के बाद परीक्षा देने बैठा है और सवाल के ज़वाब में उसके द्वारा माकूल बात नहीं लिखते हुए ऐसी बात लिख दी गई,ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है की आधुनिक युग के बच्चे क्या इतना आधुनिक हो गए हैं की लड़की,प्यार,मोहब्बत,सोशल मीडिया के अलावे उन्हें कुछ और नहीं सूझ रहा..?