बहुत ज़रूरी है जागरूकता ताकि अब ना बढ़े मौत का आंकड़ा


आशुतोष रंजन
गढ़वा

आप अगर झारखंड के गढ़वा जिला में रहते हैं या बाहर कहीं सुदूर प्रदेशों में रहने के बावजूद यहां से ताल्लुक रखते हैं तो जिले के इस दुखद पहलू पर हमें बहुत गंभीरता से सोचने की जरूरत है,क्योंकि आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारी जिले में प्रत्येक दिन लोगो की किसी न किसी कारण मृत्यु हो रही है,पर ज्यादातर मौतें स्वाभाविक या किसी दुर्घटना के कारण नहीं बल्कि खुदकुशी करने से हो रही है,जिसकी संख्या को शीर्षक के ज़रिए जान कर क्या इस पर नियंत्रण करने के लिए लोगों को जागरूक होने की ज़रूरत नहीं है.?, छोटे मोटे परिवारिक विवाद पर मामले को खत्म करना होगा तभी इस पर नियंत्रण संभव है,जबकि आत्महत्या का प्रयास करनेवाले लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है,इतनी बड़ी संख्या में लोगों का आत्महत्या करना या आत्महत्या का प्रयास करना हमारी सोसायटी के लिए किसी भी तरह से बढ़िया संकेत नहीं है, हर रोज अखबारों की सुर्खियां बनती आत्महत्या की खबरें समाज विकास की त्रासद तस्वीर को बयां कर रही हैं,आत्महत्या शब्द जीवन से पलायन का डरावना सत्य है जो दिल को दहलाता है,डराता है,खौफ और दर्द पैदा देता है,इसका दंश वो झेलते हैं जिनका कोई उनके बीच से असमय चला जाता है,उनके प्रियजन,रिश्तेदार एवं मित्र तो दुःखी होते ही हैं,साथ ही सम्पूर्ण मानवता भी आहत एवं शर्मसार होती है।

शहरो की अपेक्षा गांव में अधिक मामले: – आत्महत्या से जुड़ी कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ चुकी है कि शहर की अपेक्षा गांव के युवक – युवतियों में यह विकृति ज्यादा देखने को मिल रही है,आमतौर पर इनकी आयु 15 से 30 वर्ष के बीच होती है, उसमें भी युवतियों की संख्या कहीं ज्यादा है।

आख़िर क्यों उठा रहे हैं वो ऐसा कदम: – अब सवाल यह उठता है कि आख़िर युवाओं की मनोवृति ऐसी क्यों हो गई,या यह प्रवृत्ति हमारी सोसायटी में क्यों बढ़ रही है,तो इसके कई कारण हैं,सबसे पहला कारण तो घर में होने वाले छोटी-छोटी बात को लेकर विवाद होना,मेंटल इलनेस ही है,इसमें डिप्रेशन,एंग्जाइटी,किसी तरह का एडिक्शन,इमोशनल रीजन,जैसे प्यार मोहब्बत में ब्रेकअप ना सहन कर पाना आम कारण हैं, इनके साथ ही सोशल कॉज में किसी तरह का इकोनौमिक लॉस होना या लंबे संघर्ष के बाद भी जॉब ना लग पाना,परिवार या समाज का खुद को प्रूव करने को लेकर अत्यधिक दबाव होना भी इसके कारण माने जा रहे हैं।

उन्हें अंतिम समाधान आत्महत्या ही दिखता है: – कभी कोई विद्यार्थी,कभी कोई युवती, व्यापारी अथवा किसान,कभी कोई सरकारी कर्मी तो कभी कोई प्रेमी,जीवन में समस्याओं से इतना घिरा हुआ महसूस करता है या नाउम्मीद हो जाता है कि उसके लिये इस जहां से चले जाना ही सहज प्रतीत होता है, और वो आत्महत्या कर लेता है, वैसे लोगों के लिये समस्याएँ विराट हो गई हैं,एवं सहनशक्ति क्षीण हो गई है,यही कारण है कि विश्व में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है,ऐसे में बात अगर हम अपने गढ़वा जिला की करें तो 2021 अक्टूबर से लेकर जनवरी 2023 तक यानी 1 वर्ष 3 माह में 540 लोगों द्वारा अब तक आत्महत्या का प्रयास किया गया,जिसमें 105 की जान गई,उधर बताया जा रहा है की इससे भी अधिक लोग आत्महत्या का असफल प्रयास करते हैं। आत्महत्या 15 से 30 वर्ष की अवस्था के युवा ज्यादा कर रहे हैं, वैश्विक स्तर पर आत्महत्या का सबसे सामान्य तरीका कीटनाशक खाना,फांसी लगाना ट्रेन से कट जाना प्रमुख है,आत्महत्या करने की प्रवृति दिन-पर-दिन विकराल होती जा रही है,इधर विज्ञान की प्रगति के साथ जहां बीमारियों से होने वाली मृत्यु संख्या में कमी हुई है, वहीं इस वैज्ञानिक प्रगति एवं तथाकथित विकास के बीच आत्महत्या की संख्या पहले से अधिक हो गई है,यह समाज के हर एक व्यक्ति के लिए चिंता का विषय है,चिंता की बात यह भी है कि आज के सुविधा भोगी जीवन ने तनाव,अवसाद,असंतुलन को बढ़ावा दिया है,जब सुविधावादी मनोवृत्ति सिर पर सवार होती हैं और उन्हें पूरा करने के लिये साधन नहीं जुटा पाते हैं तब कुंठित एवं तनावग्रस्त व्यक्ति को अंतिम समाधान आत्महत्या में ही दिखता है।

105 की हो चुकी है मौत: – आत्महत्या के कारण जिले के 105 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें ज्यादातर महिलाओं की मौत पति पत्नी के बीच विवाद के कारण हुई है,उधर युवक एवं युवतियों की मौत प्रेम प्रसंग व परिजनों के फटकार के कारण आत्महत्या किए जाने से हुई है।

जो बच गए वो अब बेहतर जीवन जी रहे हैं: – आत्महत्या का प्रयास करने के बाद जो लोग बच गए हैं,वो आज बेहतर रूप से ज़िंदगी गुजार रहे हैं,साथ ही साथ जिन लोगों ने परिजनों के फटकार के बाद इस तरह का कदम उठाया था वो अब अपने परिजनों के बीच सुकून के साथ रह रहे हैं।

डॉक्टरों की राय: – इस संबंध में डॉक्टर कहते हैं की डिप्रेशन, घरेलू विवाद या कोई कार्य पुरा ना होने पर,प्रेम प्रसंग सहित छोटी मोटे विवाद को लेकर इस तरह का कदम उठा लेते हैं।

ऐसे लोगों के लक्षण क्या होते हैं: – वैसे लोगों को ज्यादातर अकेले रहना,हमेसा निराशा रहना,किसी से बात नहीं करना,लोगों से ना मिलना जुलना या फिर उनके परिवार में किसी सदस्य अगर इस तरह का कदम पहले उठा चुके होते हैं तो वो भी वैसा ही करना अपने अनुसार सही समझते हैं।

ऐसे लोग को क्या सलाह देना चाहिए:- इस संबंध में कन्या विवाह एंड विकास सोसायटी के सचिव विकास कुमार माली ने कहा कि इस तरह के लोगों को इस मनोवृति से बाहर निकालने एवं उनकी ज़िंदगी महफूज़ रखने के लिए उन्हें अकेले नहीं रहने देना चाहिए,उनके साथ हमेशा सकारात्मक बातें करें,उन्हें वैसे लोगों के साथ रखना चाहिए जो हमेशा सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं,साथ ही साथ उनके दिनचर्या को ठीक रखना, शारीरिक व्यायाम करना या फिर अगर इससे भी वह ठीक ना हों तो किसी चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए,लोग चिकित्सक से इसलिए नहीं मिल पाते हैं क्योंकि वो अपनी बात किसी से बताना नहीं चाहते,नतीज़ा होता है की इस कारण वो उनकी मनःस्थिति बिगड़ जाती है और वो अंततः गलत कदम उठा लेते हैं,लेकिन अपने जिले की इस भयावहता को पूरी तरह गंभीरता से समझते हुए एक बड़ी जागरूकता ज़रूरी है ताकि अब आगे मौत का आंकड़ा ना बढ़ सके।