विश्वास अंधविश्वास पर नहीं यकीन इलाज़ पर करें: सिविल सर्जन


आशुतोष रंजन
गढ़वा

झारखंड के गढ़वा में पलायन की विभीषिका तो जान लेती ही है लेकिन उसके अलावे भी लोगों की मौत होती है,हम बात आज सांप काटने से होने वाली मौत की करेंगें,जंगलों पहाड़ों के बीच बसे गढ़वा के ग्रामीण इलाकों में जहरीले सांप का भी काफ़ी प्रकोप है,भीषण गर्मी के बीच होने वाली बारिश के कारण जमीन के अंदर घुसे हुए सांप भी बाहर निकल आते हैं और बाहर की गर्मी से बचने के लिए ये सांप लोगों के घरों में भी घुस जाते हैं,नतीज़ा होता है की विषधरों से अंजान लोग इनका शिकार हो जाते हैं,जिला के ग्रामीण इलाकों में अभी भी अधिकांश घर कच्चे और खपड़ैल होते हैं,जहां आसानी से सांप घुस जाते हैं, बात हम बरसात के शुरुआती दिनों और गर्मी की तपिश से राहत पाने की करें तो लोग घरों में ज़मीन पर ज्यादा सोते हैं,इस वजह से सांप उन तक आसानी से पहुंच उन्हें डंस लेते हैं,गढ़वा सदर अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले कुछ महीने में सिर्फ सदर अस्पताल में 100 सर्पदंश के मामले आए जिनमें से 12 लोगों की मौत हो गई,ये आंकड़े सिर्फ सदर अस्पताल के हैं,जबकि पूरे जिला का आंकड़ा इससे अधिक है।

आज भी अंधविश्वास पर है विश्वास: – गढ़वा में सर्पदंश से होने वाले मौत के बढ़ते मामलों के पीछे अंधविश्वास भी एक सबसे बड़ा कारण है,लोग आज वर्तमान गुजरते वक्त में भी सांप काटने के बाद पीड़ित का झाड़ फूंक कराना उचित समझते हैं,लोग दावा करते हैं कि झाड़फूंक से ही जान बचेगी,जब तबियत ज्यादा बिगड़ता हुआ दिखता है तब लोग मरीज को अस्पताल आते हैं,आलम होता है की तब तक काफ़ी देर हो चुका होता है,और मरीज की मौत हो जाती है,कई मामले तो डर के कारण भी सरकारी आंकड़ों में नहीं आते हैं,तंत्र मंत्र करने वाले लोगों के दिलो दिमाग पर इस तरह कब्जा जमा लेते हैं कि लोग झाड़फूंक के बाद मौत हो जाने पर मरीज का पोस्टमार्टम तक नहीं कराना चाहते,मिली जानकारी के अनुसार तंत्र मंत्र करने वाले ग्रामीणों के मन में इस बात को घर करा देते हैं कि सांप ईश्वर के प्रकोप के कारण डंसता है,मौत होने पर शरीर में चीरा लगेगा तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी बस इसी कारण लोग पोस्टमार्टम से भी दूर भागते हैं,अनवरत ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जहां सर्पदंश से मृत लोगों का पोस्टमार्टम कराने के लिए पुलिस प्रशासन को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है,पिछले दिनों मेराल थाना क्षेत्र के देवगाना गांव निवासी प्रदीप चौधरी को जहरीला सांप ने डंस लिया,परिजनों ने बताया कि वह घर से खाना खाने के बाद नदी की ओर शौच करने जा रहा था,इसी क्रम में सांप ने उसे डंस लिया,घटना के बाद परिजनों के द्वारा उसे इलाज के लिए तत्काल सदर अस्पताल में लाया गया जहां उसका इलाज़ हुआ,सर्पदंश से ही श्री बंशीधर नगर थाना क्षेत्र के कोल्हुआ गांव निवासी सुरेश राम के पुत्र कमलेश कुमार 30 वर्ष की मौत हो गई,कमलेश कुमार अपने घर में जमीन पर सो रहा था,इस दौरान उसके बाएं पैर में कोबरा सांप ने डंस लिया तथा कमरे में ही बिल में घुस गया,इसके पश्चात कमलेश कुमार ने परिजन को इसकी जानकारी दी,तब परिजनों द्वारा कमलेश कुमार को बिशुनपुरा में झाड़फूंक कराने वास्ते ले जाया गया,वहां झाड़फूंक कराने के दौरान ही युवक की हालत जब और बिगड़ गई तब उसे सदर लाया जाने लगा,जहां लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई,पिछले वर्ष भी जलडेगा में दो तीन सर्पदंश के मामलों में ओझा गुणी के चक्कर में पुलिस और प्रखंड प्रशासन को लोगों का विरोध झेलना पड़ा था, बीते शुक्रवार का ही मामला है जब बानो में सर्पदंश से एक 13 वर्षीय बच्ची की मौत झाड़फूंक के चक्कर में हो गई,बच्ची का पोस्टमार्टम कराने में पुलिस को काफी विरोध का सामना करना पड़ा,इसी तरह के कई मामले हैं जहां ओझा गुणी के कारण प्रशासन पर लोग हावी होने लगते हैं,जो कतई सही नहीं है।

यकीन इलाज़ पर करें: – इस संबंध में सिविल सर्जन अनिल कुमार सिंह ने कहा की सर्पदंश के शिकार हुए लोगों की ज़िंदगी इलाज़ के ज़रिए महफूज़ रखने के लिए सदर अस्पताल में सुई मौजूद है,लेकिन अफ़सोस इस बात का है की वैसे मरीजों को ले कर लोग ससमय अस्पताल पहुंचे तब तो,यहां तो लोग सबसे पहले तंत्र मंत्र का सहारा लेना उचित समझते हैं,जबकि यह पूरी तरह अनुचित और जानलेवा है,क्योंकि सही वक्त पर इलाज़ होना ही जीवन बचाने का एक मात्र विकल्प है,कहा की मौत के आंकड़ों की भयावहता को देखते हुए अभी भी वक्त है लोग जागरूक और पूरी तरह सजग हो जाएं और सर्पदंश के साथ साथ किसी भी वैसे जहरीले जंतु के काटने से पीड़ित मरीज़ को बिना एक पल गंवाए सीधे ले कर सदर अस्पताल पहुंचे जहां उनकी ज़िंदगी बचाई जा सके,साथ ही यह भी कहना ज़रूरी है की विश्वास अंधविश्वास पर नहीं,यकीन इलाज़ पर करें।