विचार केवल राजनीति की नहीं राष्ट्रनीति की भी समाहित रहे: डॉक्टर सुमन


आशुतोष रंजन
गढ़वा

अब तलक हम आप केवल या तो राजनेता,विधायक,सांसद या अन्य किसी की सुनते आए हैं,उसे ख़ुद के जेहन में कितना पेवस्त किए उसका हमको आपको बखूबी अहसास है,लेकिन सही मायने में किसी छोटे बड़े आयोजन में मौजूद लोगों के मन में मेरी बात घर कर जाए ऐसा संबोधन शायद ही हम आप कभी सुन पाते हैं,लेकिन आज एक कार्यक्रम में मौजूद कई दर्जन लोग जब उनका संबोधन सुने तो एक स्वर से यही कहते सुने गए की संबोधन हो तो ऐसा हो जो बरबस प्रभावित कर जाए,अब हम यहां आपको उक्त संबोधन को सुना तो नहीं पा रहे लेकिन इस ख़ास ख़बर के ज़रिए आइए आपको उनके बारे में बताने के साथ साथ उनके द्वारा कौन सी महत्वपूर्ण बातें बोली गईं,उसे बताते हैं।

जिसे आज मंत्रमुग्ध हो सुनते रहे लोग:- आख़िर वो कौन है जिसके संबोधन की बात हम कर रहे हैं तो आपको बताऊं की आज हिन्दू जागरण मंच द्वारा चार घंटे के कार्यशाला का आयोजन आर के बीएड कॉलेज के सभागार में किया गया,जहां आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक सह हिन्दू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉक्टर सुमन कुमार मुख्य रूप से मौजूद रहे,मैं इनके संबोधन की ही बात कर रहा हूं,उनके द्वारा अपने संबोधन के ज़रिए क्या बताया गया आइए उसे संक्षेप में बताता हूं,इंडोनेशिया जकार्ता के रहने वाले,ऑक्सफोर्ड से पढ़ने वाले बाद में पादरी बन ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करने में जुट जाने वाले अल्बर्ट सोलोमन ही डॉक्टर सुमन हैं,आपको थोड़ा अचरज लग रहा होगा,लेकिन यही सच्चाई है,आगे कहते हैं की वो जब भारत आए तब से सनातन से प्रभावित हो कर हिन्दू बनने के बाद कई सालों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर कार्य कर रहा हैं,जिस तरह मैं समर्पित हूं ठीक इसी तरह का समर्पण सभी का चाहिए,मैं जब विदेश में था तब मुझे यही कहा जाता था की भारत का यह संघ ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं करता,नुकसान पहुंचाता है,लेकिन मैं अल्बर्ट सोलोमन भारत आ कर संघ के कार्यालय में जाता था,वहां घंटो बैठता और सबकी बातों को सुनता था,लेकिन कभी किसी ने हमारा विरोध नहीं किया,मेरी भ्रांतियां दूर हुई की संघ भारत का ऐसा है,तब बहुत दिन बाद जा कर मैंने धर्म का परिवर्तन किया,जैसा हम सभी धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो बोलते हैं,लेकिन क्या कभी आपने सुना है की क्या किसी पादरी या इस्लाम धर्म प्रचारक ने ऐसा बोला है,उनके द्वारा मात्र यही कहा जाता है की मेरा गॉड और मेरा खुदा ही सबकुछ है बाकी कुछ नहीं,मुझे एक पादरी होने के बावजूद बुरा लगा,और धर्म परिवर्तन करने के बाद आज मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्देश्य को लोगों तक पहुंचाने और जागृत करने के साथ साथ वैसे लोग जो सनातन से भटक गए हैं उन्हें फिर से वापस लाने में जुटा हूं,आप भी इस अभियान का हिस्सा बनिए,आप अपने दिल पर हाथ रख कर खुद से पूछिए की एक सनातनी होने के बावजूद क्या कभी आपने अपने जिम्मेवारी को निभाया है,निभाइए,राजनीति करने वाले को राजनीति करने दीजिए लेकिन राष्ट्रीनिति भी बेहद जरूरी है,राजनीति एक सीमा तक कीजिए,राजनीति करने के चक्कर में हद से ज्यादा मत गिर जाइए,यह देश क्रांतिकारियों का है,हिन्दू जागरण ऐसा कीजिए की हर कोई बोल उठे की काश्मीर तुझे हम क्या देंगें,अरे तुझसे लाहौर कराची भी ले लेंगे,पीएम मोदी के बारे में मैं जितना जानता हूं उसके अनुसार आपको बताऊं की वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एकमात्र कार्यकर्ता हैं,जो टिकाऊ है बिकाऊ तो एकदम नहीं है,हमने जो कहा था वो हुआ,यानी राम मंदिर वहीं बनाने की बात कही थी और आज देखिए आगामी बाइस जनवरी को गुजरे पांच सौ साल बाद रामलला मंदिर में जा रहे हैं,अंधेरे को कोसने से काम नहीं चलेगा,कोशिश यही करना है की चलो दिया वहां जलाएं जहां कब से अंधेरा है,मेरे समर्पण को देखते हुए ही मुझे संघ के प्रचारक का दायित्व मिला,मैं विवेकानंद से भी प्रभावित हूं,हमें यह आजादी जो मिली है उसे जुगाए रखना ही अपनी जिम्मेवारी है,यह कहने में कोई हिचक नहीं है की हिन्दू सो रहा है उसे जगाने के साथ साथ जागृत बनाए रखने की जरूरत आन पड़ी है,घरों में देवी देवता के फोटो तो हैं लेकिन जिनके बदौलत हम परतंत्र से स्वतंत्र हुए आज उनकी फोटो क्या घरों में है,नहीं है,और ना ही आज के बच्चे उन्हें जान रहे हैं,इसलिए हम सबों का यह भी दायित्व है की उनकी तस्वीर घरों में लगाए जाने के साथ साथ उनके बारे में बच्चों को बताएं,केवल हमारे जेहन में लव जिहाद हीं पेवस्त है जबकि हेल्थ और जनसंख्या जिहाद पर ध्यान नहीं है जबकि एक योजनाबद्ध तरीके से इसे चलाया जा रहा है,हम विश्व का कल्याण हो कहते हैं,लेकिन वो केवल अपने धर्म का ही कल्याण कहा करते हैं,भारत में रह कर देशहित की बात हर कोई कहे,सबके जेहन में हिदुत्व ही पेवस्त हो जाए बस यही सभी का दायित्व होना चाहिए,एक हाथ में माला और एक हाथ में हो भाला,तभी वो समझेगा की पड़ा है किससे पाला,आप जब हिंदुत्व की बात को ले कर आगे बढ़ेंगे तो आपको अपमानित भी होना होगा,लोग अपमानित करेंगें,लेकिन वहां आपको उस अपमान के घूंट को हंसते हंसते पीना पड़ेगा,और पीठ दिखा कर हटने के बजाए वहीं डट कर अपने लक्ष्य को पाना होगा,हमे इस बात को एकदम से गांठ बांध लेना है की राजनीति से कहीं ज्यादा राष्ट्रनीति की बात करना है,हिंदुत्व जागरण में हम कहीं पीछे ना रह जाएं इसी सोच को मन में बलवती करते हुए हिन्दू जागरण में जुटे और डटे रहना है।

जैसा देखने से यही प्रतीत हुआ की इनकी इन गूढ़ बातों से लोग प्रभावित हुए,पर सवाल उठता है की आज तलक राजनीतिक कार्यक्रमों में अपने पसंदीदा नेताओं के लच्छेदार भाषण पर तालियां बजाने भर तक ख़ुद का दायित्व समझने वाले लोग इन बातों को कितना आत्मसात करते और हिन्दू जागरण के उद्देश्य पर कितना खरा उतरते हैं..?