सोचिए कैसी ज़िंदगी जी रहे थे लोग


आशुतोष रंजन
गढ़वा

गढ़वा में अमन चैन स्थापित करने के उद्देश्य से अपने टीम के साथ सतत प्रयासरत जिला के पुलिस कप्तान दीपक पांडेय से जब बच्चों ने पूछा की यह क्या है,हम इसका क्या करें,उन्हें उस बावत बताने से पहले उनके सवाल को सुन कर एसपी आवाक रह गए,उनकी पेशानी पर यह सोच कर बल आ गया की क्या ऐसा भी हो सकता है,क्या ऐसी ज़िंदगी भी जिया जा सकता है,क्या ऐसा जगह भी है अपने यहां जहां के लोग बाहरी की दुनिया से अनजान हैं.?,वो कहां गए थे जहां उनके सामने ऐसे सवाल आए जो उन्हें बहुत कुछ सोचने पर विवश कर दिया,तो आइए आपको पूरी ख़बर बताते हैं।

जब एसपी से बच्चों ने कहा यह क्या है: – मैं उसे जानते हुए भी उससे अनजान बने रहना चाहता हूं,मैं हमेशा चाहता हूं की जब कहीं खाने की बात आए तो वो मिठाई मुझे ना ही मिले,लेकिन क्या आप जानते हैं की अपने गढ़वा जिला में एक जगह ऐसा भी है जहां के व्यस्क और वृद्ध से ले कर बच्चे जानते तक नहीं हैं की वो क्या है और उसका करते क्या हैं,हम बात यहां काजू बर्फी की कर रहे हैं,आपको बताएं की एसपी दीपक पांडेय नक्सलियों से आज़ाद कराए जा चुके बूढ़ा पहाड़ पहुंचे जहां उनके द्वारा एक ओर ग्रामीणों से मुलाकात और बहुत सारी बातें की गईं तो वहीं दूसरी ओर सामुदायिक पुलिसिंग के तहत उनके ज़रूरत की सामग्री वितरण भी की गई,इसी बीच उनकी मुलाक़ात वहां बच्चों से भी हुई,अपनी ओर एक आशा भरी नज़रों से देख रहे बच्चों से वो बेहद प्रभावित हुए और उन बच्चों को पढ़ाई सामग्री एवं खेल का सामान देने के साथ साथ उनके द्वारा उनसे ढेर सारी बातें की गईं,बस यही वो वक्त था जब बच्चों ने उनसे सवाल किया की यह क्या है,इसका क्या करें,दरअसल पहाड़ पर जाते वक्त अपने घर से वो काजू की बर्फी लेते गए थे,उक्त बर्फी जब उनके द्वारा बच्चों को दिया गया तो यह सोचा भी गया की हमारे आपके बच्चों की तरह इन बच्चों का बालमन भी मिठाई हाथ में ले कर हर्षित होगा,लेकिन वो तब हतप्रभ रह गए जब मिठाई हाथ में लेने के बाद भी उनके तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई,बल्कि कुछ ही देर में वो ख़ुद उनसे ही सवाल कर बैठे की यह क्या है,इसका हम क्या करें,बच्चों के इस सवाल का ज़वाब देने से पहले वो भावुक हो उठे,रुंधे गले से उनके द्वारा कहा गया की यह खाने वाला मिठाई है जिसे काजू बर्फी कहा जाता है,इसे आप सभी खाइए,आपके लिए ही लाया हूं,तब जा कर बच्चों के बालमन से संशय दूर हुआ और वो उसे खाना शुरू किए,लेकिन इधर एसपी को ख़ुद को संभालने में कुछ देर हुआ,क्योंकि अपने अब तक के जीवन में उनके द्वारा दुरूह से दुरूह जगह को देखा गया,लेकिन ऐसा जगह नहीं देखे थे जहां के लोग बाहर की दुनिया से इस तरह अनजान हैं।

एसपी ने लिया संकल्प: – ऐसे तो उक्त बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराए जाने के बाद पुलिस प्रशासन, सीआरपीएफ और सिविल प्रशासन द्वारा उस अविकसित जगह को विकसित करने का एक नव अभियान शुरू किया गया है,इसके साथ साथ एसपी द्वारा उन बच्चों के क़रीब रहने के दरम्यान ही ख़ुद से एक संकल्प लिया गया की डर भय से दूर रहने वाले बच्चों के जिस बालमन में डर का घर बना दिया गया,जिन्हें बाहर की दुनिया से महरूम रखा गया,जहां एक ओर उन्हें उनका बचपन लौटाऊंगा तो वहीं बाहर की दुनिया से पहचान कराने के साथ साथ उनकी एक अलग पहचान बनाऊंगा,उधर वहां से लौटते वक्त भी एसपी द्वारा बच्चों से मुलाक़ात करते हुए वादा किया गया की अगली बार जब आऊंगा तो आप सभी के लिए बहुत कुछ लाऊंगा,बच्चे भी काफ़ी आह्लादित हो उन्हें लौटते हुए इस आस के साथ देखते रहे की अगली बार जब साहब आयेंगे तो ज़रूर कोई वैसी चीज लायेंगें जिससे अब तलक हम सभी अनजान हैं।