विरोध जता रहे हैं फेसबुक पर नाम के,आख़िर क्यों गर्जन से दूर हैं वंशज परशुराम के..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

ख़बर के केंद्र में जाने से पहले आज एक बार फिर मुझे मां की कही गई वो बात याद आ रही है की तुलसी का पत्ता छोटा हो या बड़ा वो सदा पूजनीय होता है,ठीक उसी तरह ब्राह्मण सदैव पूजनीय होते हैं,बाबू कभी उनका अनादर मत करना,आज हमारी मां नहीं है लेकिन उसके द्वारा कहे गए अन्य बातों के साथ साथ इस बात को हम तो अनवरत याद रखते हैं,साथ ही आपको बताऊं की उम्र में बड़े ब्राह्मण की बात क्या करें मैं तो उनका भी सम्मान किया करता हूं जो हमारे साथ स्कूल,कॉलेज में पढ़े हैं यानी हम उम्र हैं,हम तो बेहतर समझ रहे हैं लेकिन अपने समाज के कुछ वैसे लोगों को कौन समझाए और ख़ास कर वैसी राजनीति करने वालों को जो विशेष वर्ग को खुश करने की राजनीति करने के फ़िराक में ब्राह्मणों का अपमान किया करते हैं,हमें ऐसा लिखने के लिए एक बार फ़िर से विवश इसलिए होना पड़ा क्योंकि इधर कुछ रोज़ से ब्राह्मणों के बारे में अपशब्द कहे जाने वाला एक विडियो वायरल हो रहा है।

उनकी बात तो आपको बहुत बुरी लगी थी: – मुझे याद है तो आपको भी बेशक याद होगा क्योंकि वो बात आपको बहुत बुरी लगी थी,कुछ ऐसा नागवार गुजरा था की आप बेहद आक्रोशित हो गए थे,कुछ साल पहले उस रोज़ गढ़वा जिला मुख्यालय में अवस्थित उत्सव गार्डेन में एक राजनीतिक पार्टी का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था जिसमें झारखंड के एक राजनेता द्वारा अपने संबोधन के दरम्यान पलामू गढ़वा के ब्राह्मणों के बारे में कुछ बोला गया था जिसे सुनने के बाद आप सभी बेहद नाराज़ हो गए थे और कई तरह से आपके द्वारा आक्रोश भी ज़ाहिर किया गया था,लेकिन आज जब समूल ब्राह्मणों का अपमान किया गया तो मुखर रूप से विरोध नहीं हो रहा है,हां यह बात अलग है की फेसबुक और whats app के ज़रिए इक्का दुक्का विरोध जताया जा रहा है,लेकिन सवाल उठता है की क्या यह आपको नागवार नहीं गुज़र रहा,क्या इससे आप आक्रोशित नहीं हो रहे.?

आख़िर क्यों गर्जन से दूर हैं वंशज परशुराम के : – यहां पर आगे कुछ लिखूं उससे पहले एक पंक्ति ज़रूर लिखना चाहूंगा की “विरोध जता रहे हैं फेसबुक पर नाम के,आख़िर क्यों गर्जन से दूर हैं वंशज परशुराम के”,यह एक बड़ा सवाल है जो एक अरसे से ना ज़वाब है,और मुझे जो आभास होता है यह अनुतरित इस लिहाज़ से है की राजनीति के कारण एक दूसरे दल में बंट कर जब तलक वो केवल ख़ुद का स्वार्थ साधते रहेंगे और उनके अंदर एक दूसरे के प्रति गतिरोध और मनभेद रहेगा तब तलक शायद ऐसे हालात बने रहेंगे,इसलिए ज़रूरत है एक होने की ताकि आपके मान के लिए खुलने वाले ज़ुबान अपमान के लिए ना खुल सकें,साथ ही सम्मान में झुकने वाली नज़रें अपमानित हेतु आंखें ना तरेर सकें।