किसके शह पर चल रहे हैं ऐसे गोरखधंधे..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

सही और नियमसंगत काम हो तब तो ठीक है लेकिन जब सीधे रूप में गलत काम होता है तो उसे नज़र करने के बाद मन में बरबस यही सवाल उपजता है और कागज़ पर उंगलियां यही उकेरती हैं की आखिर यह गलत काम किसके शह पर हो रहा है,कौन इसे प्रश्रय दे रहा है.?, हम बात यहां गढ़वा में संचालित नर्सिंग होम की कर रहे हैं,किस रूप में गलत है शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है,लेकिन चलिए फिर भी कुछ बता देते हैं।

बीमारों से ज्यादा है निजी अस्पताल : – कुछ यही है इस गोरखधंधे का हाल,जहां बीमारों से ज्यादा है निजी अस्पताल, शहरी मुख्यालय के साथ साथ गांव में भी ऐसे ऐसे नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं जहां इलाज़ वास्ते पहुंचने वालों की ज़िंदगी से खिलवाड़ हो रहा है,आपको बिल्कुल याद होगा,आप भूले नहीं होंगें की गुजरे साल में ही जिला प्रशासन द्वारा निजी अस्पतालों के विरुद्ध एक अभियान की शुरुआत की गई थी,जिसमें कई ऐसे अस्पताल सामने आए जिसके पंजीकृत होने की बात तो आप छोड़ ही दीजिए,वहां जिसके द्वारा इलाज़ किया जा रहा था वो डॉक्टर था ही नहीं,सबसे पहली कार्रवाई में ही यह बात सामने आई थी जहां एक इंजीनियरिंग पास युवक द्वारा अपने फर्जी निजी अस्पताल में लोगों को मौत दी जा रही थी,बाद में इसके जैसे और कई अस्पताल कार्रवाई के जद्द में आए,लेकिन अब यहां सवाल का उठना लाज़िमी है की क्या कार्रवाई होने के बाद सब कुछ सही हो गया,क्या अब फर्जी निजी अस्पताल का संचालित होना बंद हो गया,क्या जिसके शह पर ऐसे जानलेवा गोरखधंधा संचालित होता है,क्या उसके द्वारा शह देना बंद कर दिया गया,अगर इन सवालों का जवाब नहीं है,तब तो यही मानना होगा की अभी भी फर्जी अस्पताल शहर मुख्यालय के साथ साथ गांव देहात में संचालित हो रहे हैं,तो क्या इनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं होनी चाहिए..?