कहीं नाराज़ ना हो जाएं धरती के भगवान


आशुतोष रंजन
गढ़वा

हम आप इस जानकारी से बखूबी वाक़िफ हैं की गढ़वा जिला मुख्यालय में अवस्थित सदर अस्पताल में जो भी चिकित्सक पदस्थापित हैं वो अस्पताल में ख़ुद के लिए निर्धारित अवधि के बीच सेवा देने के साथ साथ अपने निजी क्लीनिक में भी मरीजों का इलाज़ किया करते हैं,इसे गलत कहा जाता है,लेकिन इसे गलत नहीं कहना चाहिए क्योंकि उनके लिए जो वक्त सदर अस्पताल में निर्धारित है उस समय तो वो वहां मौजूद रह कर सेवा दिया ही करते हैं,अगर उसके बाद वो अपने क्लीनिक में होते हैं तो भला गलत कैसे हुआ,वो अपने हिसाब से राइट हैं लेकिन एक मैसेज ने उन्हें लेफ्ट होने को विवश कर दिया,अब वो मैसेज किसका था और किस मैसेज से कई डॉक्टर साहब कहां से लेफ्ट हो गए आइए आपको बताते हैं।

आया मैसेज और हो गए लेफ्ट: वो थे तो राइट,आया मैसेज और हो गए लेफ्ट”, जी हां आपको बताऊं की सभी डॉक्टरों का एक whats app ग्रुप है,जिसमें सरकार और सरकारी महकमे के आला साहबों के आदेश निर्देश को शेयर किया जाता है ताकि सभी को एक साथ मालूम हो सके,सबकुछ ठीक चल रहा था,उनके विभाग के जिला स्तरीय कई साहब आए और गए,ग्रुप में सभी डॉक्टर मौजूद रहे और आदेश निर्देशों का अनुपालन करते हुए अपनी जिम्मेवारी का बखूबी निर्वहन करते रहे,लेकिन हाल में आए एक निर्देश वाले मैसेज ने उन्हें विचलित कर दिया और वो सभी एक साथ कुछ कुछ वक्त के अंतराल में ग्रुप से लेफ्ट हो गए,यानी वो मैसेज उन्हें नागवार गुजरा,लगता है उन्हें इसका अंदाजा नहीं था की कभी ऐसा मैसेज भी आ सकता है,क्योंकि अब तलक क्लीनिक में मरीज देखने की बात आती थी तो वो बात कुछ दिनों में आई गई हो जाती थी,लेकिन निर्देशित करता हुआ ऐसा मैसेज कभी नहीं आया था सो उन्हें कुछ ज्यादा ही प्रभावित किया,अब यहां बताने के साथ साथ उस निर्देशित मैसेज से संबंधित पत्र की तस्वीर भी आपको दिखा रहे हैं,जिसमें उल्लेखित बातों से आप समझ ही रहे होंगें की अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सकों को निजी क्लीनिक में काम करने से रोका नहीं गया है बल्कि सिविल सर्जन द्वारा कहा गया है की आपका निजी क्लीनिक हो पर वो मुख्यालय में अस्पताल से पांच सौ और ग्रामीण क्षेत्रों में ढाई सौ मीटर की दूरी पर अवस्थित हो,बस इसी मैसेज का आना सभी डॉक्टरों को ग्रुप से लेफ्ट होने को विवश कर दिया।

कहीं नाराज़ ना हो जाएं धरती के भगवान: एक तो सदर अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा है,जितना पद हैं उसके अनुपात में डॉक्टर और नर्सों की कमी है,यानी किसी किसी तरह जिला मुख्यालय का सदर अस्पताल चलायमान हो रहा है,ऐसे में यहां सोचना लाज़िमी है की वर्तमान गुजरते वक्त में जो जो डॉक्टर अस्पताल में पदस्थापित हैं उनके द्वारा खुद के निर्धारित वक्त में अस्पताल में रह कर सेवा दी ही जा रही है,अब समय ख़त्म होने के बाद वो क्लीनिक में रहते हैं तो क्या गलत करते हैं,हां जो मैसेज आया है उसके अनुसार अस्पताल के क़रीब क्लीनिक का होना बिल्कुल गलत है,इसमें उनके द्वारा बदलाव किया जाना जरूरी है,लेकिन निर्देश वाला मैसेज आने के बाद जिस तरह वो नाराज़ हो कर ग्रुप से लेफ्ट हुए हैं कहीं ऐसा ना हो की उनकी नाराजगी बढ़े और वो कहीं अस्पताल से ही लेफ्ट हो गए तो गढ़वा के लाखों मरीजों का क्या होगा,तभी हमने लिखा की कहीं नाराज़ ना हो जाएं धरती के भगवान।