नहीं छोड़ेंगे कुछ भी अधूरा,क्योंकि मंत्री अपने संकल्प को कर रहे हैं पूरा : नीतेश

आशुतोष रंजन
गढ़वा

बनती सड़कें,हलक को मिलता पानी और मुरझाए चेहरों पर आता रवानी देख ले,रुक रुक परदेशी तू गढ़वा जिला देख ले,जी हां यह मात्र कोई चंद शब्दो में समाहित एक पंक्ति नहीं बल्कि गढ़वा की वो सच्चाई है जो गुजरे चार सालों से नुमाया हो रही हैं,उक्त पंक्ति के ज़रिए अपनी बातों की शुरुआत करने वाले बीस सूत्री जिला उपाध्यक्ष नीतेश सिंह कहते हैं की एक बेहतर सड़क की जगह पगडंडी से गुजरने की विवशता,आवास के नाम पर कभी भी पूरे परिवार को समाधिस्थ कर देने वाला खपड़ैल घर,पानी के लिए दूर तलक ख़ाक छानने की मज़बूरी,ढिबरी जला कर समुचित बिजली की आस जोहने की कसक ऐसी कई परेशानी पेवस्त थी अपने गढ़वा की राह में,देश आज़ादी और राज्य अलग होने के इतने बीते सालों में इसी समस्या को दूर करने के वादे के साथ कई सांसद और विधायक यहां से निर्वाचित हुए पर राजनीति में कहा जाता है न की अगर क्षेत्र की समस्या ही ख़त्म हो जाएगी तो फिर राजनीति किस विषय पर होगी,यानी नेताओं द्वारा मुद्दों को सीढ़ी बनाते हुए राजनीति का पायदान चढ़ा गया पर अफ़सोस गढ़वा निचले पायदान पर ही जड़वत रहा,लेकिन जिस तरह एक कहावत बेहद प्रचलित है की एक वक्त आता है जब घूरे का भी दिन फिरता है यानी बदलता है,तो वो वक्त भी आया जब गढ़वा का वक्त और हालात बदलने लगा!

था तो असंभव पर इन्होंने किया संभव : – गढ़वा की दुर्दिनता और यहां के हालात को बदलना असंभव सा प्रतीत होता था,पर वो संभव हुआ,और यह तब से संभव हुआ जब से यहां के लोगों की परेशानी को दिली शिद्दत से महसूस करते हुए बद्तर स्थिति को सुधारने का संकल्प लेने वाले मिथिलेश ठाकुर को लोगों ने एक आस और विश्वास के साथ अपना जनप्रतिनिधि चुना,शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप ख़ुद नावाकिफ नहीं हैं की ग्यारह साल के उनके संघर्ष को दिल में आत्मसात करते हुए आपने चार साल पहले उन्हें अपना रहनुमा चुना,आपने उनके ऊपर विश्वास भले जताया था पर आपको पूरा यकीन नहीं था क्योंकि आप एक लंबे अरसे से धोखा खाए हुए थे,लेकिन आपके प्रति उनका व्यवहार और हाथ में कुछ अधिकार के नहीं रहते हुए भी सामर्थ्य के अनुसार आपकी परेशानी को दूर करने की उनकी कार्यदक्षता को आपने तवज्जो देते हुए उन पर विश्वास किया और उम्मीद जताते हुए उन्हें अपना प्रतिनिधि चुन लिया,इन गुज़रे चार सालों में वो आपके उम्मीदों पर किस रूप में खरा उतर रहे हैं इसे बताने की ज़रूरत नहीं क्योंकि आप ख़ुद उसे महसूस कर रहे हैं,क्योंकि जहां आप पगडंडी से आते जाते हुए एक अदद सड़क की आस जोहते थे वहां आप पक्की सड़क से गुजरते हुए कितना सुकून महसूस कर रहे हैं,आप याद कीजिए जब आप खपड़ैल घर में रहते हुए बरसते बरसात में जागते आंखों में रात गुज़ारा करते थे,आज पक्के मकानों कितना राहत पा रहे हैं,ढिबरी युग में बसर किए गए जीवन की वो यादें आपके जेहन से दूर नहीं हुई होंगी तो वर्तमान गुजरता वक्त तो अभी ताज़ा ही है जब पर्याप्त बिजली की रौशनी से केवल घर में ही नहीं आपके जीवन में भी उजाला आया है,जब समस्या रूपी हर ज़ख़्म की टीस को आप भूले नहीं हैं तो भला वो पीड़ा आपके जेहन में ज़रूर पेवस्त होगा जब प्यास से सूखते हलक को तर करने के लिए आपको लंबी दूरी की ख़ाक छाननी पड़ती थी,लेकिन आज आपकी वो समस्या भी दूर हो गई,जब सबकुछ का अहसास है आपको तो यह इल्म भी बेशक होगा की केवल गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने के नाते उनके द्वारा विकास नहीं किया गया बल्कि आप याद कीजिए की जब अपने संघर्ष के दरम्यान वो आपके बीच पहुंचते थे और आप जब अपनी दशकों की जड़वत पीड़ा को बताते बताते फफ़क पड़ते थे तो याद कीजिए आपके दर्द को सुन वो भी भावुक हो जाते थे और उनकी आंखे लरज पड़ती थी,उसी वक्त उनके द्वारा आपके सामने भर्राए आवाज़ में बोला जाता था की जितना मेरे पास सामर्थ्य है उसके ज़रिए आपको छोटी छोटी समस्या से निजात दिला रहा हूं,लेकिन बड़े और सालों की जटिल परेशानी को दूर करने के लिए हाथों में बड़ा अधिकार चाहिए,और मैं वादा नहीं कर रहा हूं क्योंकि वादे अधूरे ही रहते हैं इसलिए मैं संकल्प ले रहा हूं की जब मेरे हाथ में अधिकार आएगा तो आपके पहलू से हर समस्या को हमेशा के लिए दूर कर दूंगा,नीतेश सिंह कहते हैं की आपने अपने दुर्दिन हालात को बदलने के लिए उनके संकल्प को सम्मान दिया तो उन्होंने भी आपके सम्मान को सर आंखों पर बिठाया और आज गुज़रे चार सालों से अनथक मेहनत करते हुए अपने संकल्प को पूरा करते हुए अनगढ़ गढ़वा को एक नए स्वरूप में गढ़ने में जुटे हुए हैं!