अब आसान नहीं है एसपी दीपक के अमन वाले जिला को अशांत करना


आशुतोष रंजन
गढ़वा

राज्य के अन्य जिलों के विषय में तो स्पष्ट रूप से बता पाना मुश्किल है लेकिन गढ़वा और पलामू के बारे में तो जानकारी दे ही सकता हूं की इन दो जिलों का बस स्टैंड आपराधिक वर्चस्व का मुख्य केंद्र रहा है,बमबाजी और गोलीबारी से ले कर हत्या तक का गवाह बनता रहा है दोनो जिलों का बस स्टैंड,स्टैंड से वसूली जाने वाली रंगदारी पर कब्जे को ले कर कई परिवार की जिंदगियां तबाह हो गईं पर अभी भी वर्चस्व की लड़ाई के साथ साथ एक दूसरे का जान लेना ज़ारी है,हम बात आज गढ़वा की करेंगे,जहां के अंतरराजीय बस स्टैंड से वसूली वाली लड़ाई ने कई युवाओं को इंटरस्टेट अपराधी बना दिया।

आपराधिक वर्चस्व का केंद्र रहा है बस स्टैंड : – गढ़वा बस स्टैंड पहुंच हम आप बस से अपने राज्य सहित सुदूर प्रदेशों की यात्रा कर लेते हैं,लेकिन हमें हमारे गंतव्य तक पहुंचाने के लिए तत्पर बस कर्मचारियों को किन कठिन और दुरूह हालात से गुजरना पड़ता है उसे भी समझना बेहद ज़रूरी है,ऐसे तो आप नावाकिफ नहीं हैं लेकिन फ़िर भी आपको बता दूं कि उक्त बस स्टैंड शुरुआत से ही आपराधिक वर्चस्व का केंद्र रहा है,जरायम की दुनिया में क़दम रखने वाले अपराधी ना जाने क्यों बस स्टैंड को ही पैसा उगाही का सबसे आसान जगह माना करते हैं,जिला मुख्यालय और इसके आस पास जितने भी आपराधिक गिरोह सक्रिय हुए उनका पहला टारगेट बस स्टैंड ही रहा,जहां ख़ुद का आधिपत्य स्थापित करने के लिए उनके द्वारा सबसे पहले या तो स्टैंड में बमबाजी या गोलीबारी की गई,अगर इतना से भी बात नहीं बना तब किसी को निशाना बनाया गया,इसी तरह स्टैंड किसी ना किसी गिरोह के कब्जे में रहा जहां से वो वसूली करते रहे,लेकिन एक गिरोह ही कैसे वसूलेगा मैं क्यों नहीं इसी सोच को अपने मन में बलवती करते हुए अन्य गिरोह द्वारा भी प्रयास किया जाने लगा जिसका नतीज़ा हुआ की आपस में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हुई,और उस लड़ाई की परिणति यही हुई की दो गिरोह के बीच कई हत्याएं हुई,अगर उसी हत्या की कड़ी में इसे भी जोड़ कर देखा जाए तो कुछ ही रोज़ पहले रांची में कुख्यात अपराधी सरगना छोटू रंगसाज की गोली मार कर हत्या कर दी गई,कहा जाता है की वर्तमान गुजरते वक्त में छोटू रंगसाज द्वारा ही बस स्टैंड से वसूली की जा रही थी,और उसकी दुश्मनी एक अन्य गिरोह से थी,उसकी हत्या के बाद कल रांची में पुलिस प्रशासन द्वारा प्रेसवार्ता किया गया जहां जानकारी दी गई की गढ़वा जिला निवासी गुड्डू खान द्वारा अपने गुर्गों द्वारा छोटू रंगसाज की हत्या कराई गई,उक्त हत्याकांड का पुलिस द्वारा केवल खुलासा ही नहीं किया गया बल्कि गुड्डू खान को गिरफ़्तार भी कर लिया गया,छोटू रंगसाज की हत्या हुई और पुलिस ने मामले का खुलासा और गिरफ्तारी भी कर लिया लेकिन यह घटना भी बस स्टैंड में वर्चस्व को ले कर की गई हत्या की फेहरिस्त में ही जुड़ गया!

अब आसान नहीं है एसपी दीपक के अमन वाले जिला को अशांत करना : राज्य का गढ़वा जिला कालांतर में भले अशांत रहा,जहां रात के अंधेरे में कौन कहे बल्कि दिन के उजाले में गुजरना महफूज़ नहीं था,पर वर्तमान गुजरते वक्त में जब से एसपी के रूप में दीपक पांडेय की पदस्थापना हुई है तब से जिला अमन के राह पर अग्रसर है,एक ओर जहां जिले को नक्सलियों से पूर्ण रूपेण मुक्ति मिली तो वहीं दूसरी ओर अपराध से भी जिला को मुक्त करने की दिशा में वो जिले की सशक्त पुलिस टीम के साथ सतत प्रयासरत हैं,आपको बताएं की जिले के आपराधिक गिरोहों के लिए गढ़वा एक वक्त में सॉफ्ट टारगेट हुआ करता था जहां वो किसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे कर खौफ स्थापित करते हुए वसूली किया करते थे,उसी वसूली के जद्द में बस स्टैंड भी आ जाता था जहां से गिरोह सरगना के नाम पर बड़ी रकम की वसूली होती थी,लेकिन अब छोटू रंगसाज की हत्या के बाद खाली हुए स्थान को भरने और अपना आधिपत्य स्थापित करने की चाहत ज़रूर किसी के द्वारा की जाएगी,लेकिन एसपी दीपक पांडेय जिनका लक्ष्य ही है जिले में पूरी तरह अमन का माहौल स्थापित करना ऐसे में किसी भी आपराधिक गिरोह के लिए अब आसान नहीं होगा बस स्टैंड से वसूली करना !

लेकिन साथ ही यह भी कहना चाहूंगा कि जब भी स्टैंड में आधिपत्य के लिए कोई घटना घटित हुई है तो वहां एक पुलिस केंद्र स्थापित करने की मांग उठी है,पूर्व में स्थापित भी किया गया था लेकिन बस स्टैंड की हालत जर्जर होने के कारण हटा लिया गया था,लेकिन अब बस स्टैंड को पूरी तरह सुव्यवस्थित कर दिया गया ऐसे में ज़रूरी है एक पुलिस पिकेट स्थापित कर दी जाए ताकि अब शांति के राह पर अग्रसर होने वाला बस स्टैंड फिर से अशांत ना हो पाए!