गठबंधन का बन सकता है सीट जीतने वाला जतरा,अगर गिरिनाथ सिंह को भेजेगा उम्मीदवार बना कर चतरा


आशुतोष रंजन
गढ़वा

लोकसभा चुनाव को ले कर कई संसदीय क्षेत्रों के घोषित उम्मीदवार लोगों से जनसंपर्क करने के साथ साथ लगातार चुनावी दौरे में व्यस्त हैं लेकिन झारखंड के चौदह सीटों में से एक सीट ऐसा भी है जहां अभी तक गठबंधन द्वारा उम्मीदवार तय नहीं किया गया है,वो है चतरा,चार सौ पार के नारे को बुलंद करते हुए राज्य के चौदहों सीट जीतने का हुंकार भर रही भाजपा के साथ दो दो हाथ करते हुए उसके विजयी रथ को रोकने के लिए ही कई दलों द्वारा इंडी गठबंधन बनाया गया है,लेकिन चुनाव से पहले एक दूसरे के हां में हां मिलाने वाले राजनीतिक पार्टियों के सुर चुनाव सामने आने के साथ बदल गए हैं,अगर सीधे रूप में यह कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए की सीट शेयरिंग और टिकट बंटवारा को ले कर अभी रार मचा हुआ है,और उसी रार की जद्द में चतरा आ गया है,लेकिन सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार आज शाम तक गठबंधन चतरा के लिए अपने उम्मीदवार का नाम ज़ारी कर देगा |

शाम तक टिकट आ जाएगा हाथ,गठबंधन के उम्मीदवार हो जायेंगे गिरिनाथ : – इसी को कहते हैं राजनीति जहां कब आप जमीं से फलक तक पहुंच जाएंगे और कब आपको फलक से ज़मीं पर आ जाना पड़ेगा इसका ख़ुद इल्म राजनीति करने वालों को भी नहीं होती,कुछ ऐसा ही अहसास गढ़वा से पूर्व विधायक एवं राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर माने जाने वाले गिरिनाथ सिंह को भी नहीं रही होगी,क्योंकि जिनके द्वारा आज टिकट के लिए हर राजनीतिक दरों पर जाना पड़ रहा है,लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उनके द्वारा एक दर पर बैठ टिकट बांटा जाता था,यानी पार्टी संगठन के वो प्रमुख पद पर आसीन हुआ करते थे,यहां शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है की कभी पलामू प्रमंडल के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर राजद के विधायक हुआ करते थे,उसमें से एक गिरिनाथ सिंह का नाम होता था,राजद का गढ़ कहा जाता था पलामू को,पार्टी को इस अंजाम तक पहुंचाने में गिरिनाथ सिंह की मुख्य भूमिका मानी जाती है,लेकिन गुजरे कालखंड में ही ना जाने ऐसा क्या हुआ की उनके द्वारा एकाएक पार्टी छोड़ दी गई और वो भाजपा का दामन थाम लिए,ऐसे तो राजनीति में नेताओं द्वारा पाला बदलना अनवरत ज़ारी रहता है,लेकिन यहां यह भी कहना चाहूंगा कि अपनी पुरानी पार्टी छोड़ कर नई जगह जाने पर हर राजनेता को ख़ास तरजीह नहीं दी जाती है,सो गिरिनाथ सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ,तरजीह की बात कौन करे ख़ुद को अनुशासित कहने वाली भाजपा द्वारा उन्हें कई सार्वजनिक मंचों पर अपमानित किया गया,और अंततः पार्टी ने वही किया जो उसके द्वारा पहले से ही तय किया जा चुका था,यानी चतरा से मुझे ही पार्टी द्वारा टिकट दिया जाएगा यही सोच कर उनके द्वारा चुनाव घोषणा से पूर्व ही चतरा पहुंच जनसंपर्क किया जा रहा था,लेकिन पार्टी द्वारा उनकी मेहनत और उनके समर्पण को दरकिनार करते हुए उन्हें टिकट नहीं दिया गया,लेकिन कभी किसी को तीखा जवाब देने से परहेज़ करने वाले गिरिनाथ सिंह भाजपा को बिना कुछ कहे पहले दिल्ली और फिर पटना पहुंचते हैं और लालू यादव से मुलाक़ात करते हुए बजाप्ते एक कार्यक्रम में राजद में शामिल होते हुए घर वापसी कर लेते हैं,यहां भी उन्हें उम्मीद थी की शामिल होते ही पार्टी द्वारा चतरा से उम्मीदवारी के रूप में मेरे नाम की घोषणा कर दी जाएगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ,क्योंकि इसी बीच बिना सीट शेयरिंग स्पष्ट किए हुए राजद द्वारा पलामू से ममता भुइयां को टिकट दे दिया गया,इसकी जानकारी होते ही उन्हें बड़ा आघात सा लगा,लेकिन जिद्द के साथ बड़े शांत मन से राजनीति करने में महारत हासिल वो हार नहीं माने और पार्टी नेताओं के साथ साथ गठबंधन धड़ा के बड़े नेताओं से उनका मिलना ज़ारी रहा,इसी बीच दो तीन रोज़ पहले जब दिल्ली में उनके द्वारा कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर से मुलाकात की गई तो राजनीतिक गलियारे में कयास लगाया जाने लगा की अब गिरिनाथ सिंह कांग्रेस के टिकट पर चतरा से चुनाव लड़ेंगे,क्योंकि सीट शेयरिंग के अनुसार चतरा को कांग्रेस अपने पाले में लेने की जिद्द पर अड़ी हुई है,यही सब को देखते हुए सूत्र बता रहे हैं की गिरिनाथ सिंह की उम्मीदवारी को ले कर सारी बातें तय हो चुकी हैं,साथ ही गठबंधन में भी सीट शेयरिंग और इनकी उम्मीदवारी तय की जा चुकी है,साथ ही कहा जा रहा है की आज शाम तक गठबंधन द्वारा उम्मीदवार के रूप में इनके नाम की घोषणा कर दी जाएगी |