इन गाड़ियों के ज़रिए किसकी होती है निगेहबानी..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

वर्तमान गुजरता वक्त लोकसभा चुनाव का है तो दिन के उजाले में आपको कई राजनीतिक पार्टियों की गाड़ियां उधर उधर घूमती हुई नज़र आ जाएंगी,लेकिन अगर किसी विशेष राजनीतिक पार्टी की गाड़ियों को देखना हो तो ज़रा रात के अंधेरे में गढ़वा जिला मुख्यालय का रुख कर लीजिए जहां चौक चौराहों से ले कर विभिन्न सड़कों से गुजरती हुई नज़र आ जाएंगी,लेकिन सवाल उठता है की आख़िर क्यों रात के अंधेरे में निकलती हैं ये गाड़ियां,क्या कुछ होता है इन गाड़ियों से या कोई विशेष निगरानी और निगेहबानी होती है इन गाड़ियों से यह एक बड़ा सवाल है जो ना जवाब है,वैसी गाड़ियों को अगर आपको देखना है तो आप रात में शहर में निकल जाइए आपको चौक चौराहों के साथ साथ इधर उधर चलती हुई नज़र आ जाएंगी,आप उस वक्त ना तो उन गाड़ियों में सवार लोगों से और ना तो किसी बाहरी व्यक्ति से लेकिन अपने आप से ज़रूर पूछ बैठेंगे की दिन में घूमने का मक़सद तो समझा जा सकता है की कई तरह के काम होने के साथ साथ अभी चुनावी दौर भी है इसलिए गाड़ियों का घूमना वाजिब है लेकिन रात के अंधेरे में चौक पर खड़े रहने के साथ साथ इधर उधर घूमने का क्या औचित्य,लेकिन आप नहीं समझिएगा न,दिन में नुकसान और रात में फ़ायदा होने लगे तो भला कौन नहीं घूमना चाहेगा,बस इसीलिए उक्त राजनीतिक दल की गाड़ियां रात में घूम रही हैं,घूमने दीजिए और फ़ायदा उठाने दीजिए,आपका हमारा माथा दर्द काहे कर रहा है भाई…?