कब्रिस्तान से मुर्दा उठ के भाग जाएगा क्या…?
आशुतोष रंजन
गढ़वा
एक वक्त था जब लोग इंदर सिंह नामधारी का भाषण पूरी दिली तन्मयता के साथ सुनते थे,ख़ैर वो वक्त आज भी ख़त्म नहीं हुआ है,आज भी आप सुन सकते हैं,हम तुलना नहीं कर रहे हैं,लेकिन उनके बाद अगर लोग किसी राजनेता के संबोधन को सुनने के साथ साथ उसकी चर्चा करते हैं तो वो हैं भाजपा के फायर ब्रांड नेता एवं भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत की हैट्रिक लगाने में जुटे भानु प्रताप शाही,जो कहीं व्यक्तिगत रूप से कुछ लोगों के साथ चर्चा कर रहे हों,सदन में बोल रहे हों या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हों,वो जिस भी विषय पर चर्चा करते हैं तो लोग उनके चेहरे को अपलक देखने के साथ साथ उनके द्वारा बोले जा रहे एक एक शब्दों को बड़े गौर से सुना करते हैं,तभी तो एक गांव में आयोजित कार्यक्रम के दरम्यान जब उनके द्वारा एक महत्वपूर्ण विषय पर बोला गया तो लोगों ने जहां एक ओर उसे सुना और उसकी उन्मुक्त कंठ सराहना की तो वहीं दूसरी ओर आज उसकी चर्चा भी हो रही है की नेता तो बहुत हुए और आगे भी होंगे लेकिन कोई शायद ही भानु प्रताप शाही होगा जिसके द्वारा हमारे हित में इतनी दिली संजीदगी से सोचा जाता है,आख़िर उनके द्वारा क्या बोला गया आइए न इस ख़बर के ज़रिए जानिए।
काम मुसलमानों का और वोट हिन्दू से : – हर रोज़ अहले सुबह अपने आवास पर आए लोगों से मुलाकात और उनकी समस्या सुन उसका समाधान करने के पश्चात क्षेत्र में निकल जाने वाले विधायक भानु कल भी एक गांव में पहुंचे जहां कार्यक्रम समाप्ति के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा की आप ज़रा सरकार के नुमाइंदों से पूछिए की पहले स्कूल का अहाता ज़रूरी है या कब्रिस्तान का,आज स्कूल में सैकड़ो बच्चे पढ़ रहे हैं,कहीं कहीं सड़क किनारे स्कूल है,मध्यांतर के दौरान बच्चे बाहर आया जाया करते हैं,गाड़ियों की आवाजाही होती है,सोचिए दुर्घटना का डर है की नहीं,लेकिन इस सरकार का क्या कहना,स्कूल को छोड़ गढ़वा जिला में लगभग सौ करोड़ की राशि से कब्रिस्तान की घेराबंदी कराई जा रही है,उनके द्वारा सवालिया लहज़े में पूछा गया की क्या कब्रिस्तान में जो दफ़न हैं वो घेराबंदी नहीं होने से वहां से भाग जाएंगे क्या,लेकिन यह सरकार वादा की पुष्टीकरण की नहीं बल्कि एक वर्ग विशेष के लिए तुष्टिकरण की राजनीति में जुटी हुई है,साथ ही कहा की जब आप मुसलमानों के हित में इतना कर रहे हैं तो फ़िर हिन्दू से वोट क्यों..?