काश सदर अस्पताल मरम्मती की जांच होती..?

काश सदर अस्पताल मरम्मती की जांच होती..?

क्या उसमें अनियमितता नहीं बरती गई होगी..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

भले मैं विषयक ही लिखा करता हूं लेकिन किसी भी ख़बर को बड़ा लिखने के कारण पाठकों द्वारा मुझे कई बार उलाहना सुनना पड़ता है इस कारण इस ख़बर को छोटा ही लिखूंगा,दरअसल विषय बड़ा महत्वपूर्ण और हमारी आपकी ज़िंदगी से जुड़ी हुई है,हम आप जब भी थोड़ा या ज्यादा बीमार हों तो सबसे पहले याद सदर अस्पताल की आती है,पहली चाहत होती है की उक्त अस्पताल में पहुंचे जहां माकूल इलाजीय सुविधा उपलब्ध हो,लेकिन वहां पहुंचने पर भले रेफर होना पड़ता हो,इसमें दोषी ना तो यहां के सिविल सर्जन हैं और ना ही कोई डॉक्टर,क्योंकि सीमित डॉक्टर और संसाधन के अभाव में किस प्रकार सिविल सर्जन के द्वारा अस्पताल में मरीजों को इलाजिय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है यह निश्चित रूप से सराहनीय है,लेकिन बात हम यहां इलाज़ की नहीं बल्कि उक्त अस्पताल भवन की कर रहे हैं,क्योंकि आज से कुछ साल पहले लगभग तीन करोड़ रुपए की लागत से सदर अस्पताल भवन की मरम्मत कराई गई थी,लेकिन वर्तमान गुजरते वक्त में उक्त भवन की स्थिति कैसी है उसे अगर नज़र करना हो तो आप अस्पताल पहुंच कर बाहर से ले कर अंदर तक के हालात को देख लीजिए सारी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाएगी,ऐसे में सवाल उठता है की अनगढ़ गढ़वा को गढ़ने के साथ साथ जिले की स्वास्थ्य सुविधा सुधारने के अपने संकल्प को पूरा करते हुए अनथक प्रयास करने वाले मंत्री भला हर निर्माण स्थल पर कैसे मौजूद रहें ताकि संवेदक द्वारा कार्य में अनियमितता नहीं बरता जा सके,साथ ही यह भी कहना लाज़िमी होगा की जिले में प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करने को ले कर दिली संजीदगी से प्रयासरत जिले के उपायुक्त द्वारा क्या इस मसले की जांच की जाएगी यह भी एक यक्ष प्रश्न है…?

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Ashutosh Ranjan

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