मैं नहीं देख सकती किसी को कुहंकते हुए: कंचन


आशुतोष रंजन
गढ़वा

हम आप किसी भी पर्व त्योहारों में वो चाहे दशहरे में मूर्ति पूजा देखनी या मेला घूमना हो,होली में रंग गुलाल और पटाखा ख़रीदना हो चाहे दिपावली में खरीददारी करनी हो बच्चों को साथ ले कर जाते हैं,बच्चे कितना आह्लादित हो चहकते हुए खिलौना या अन्य वस्तु पा कर खुशी से चहक उठते हैं,लेकिन उसी क्षण थोड़ी दूर पर हमारी नज़र नहीं जाती जहां मुफलिसी के मारे बच्चे कभी खिलौनों को तो कभी चहकते बच्चों के चेहरों को कातर निगाहों से देखते हुए सोचते हैं काश हमारे इन हाथो में भी कोई खिलौने दे जाता,पर अफ़सोस उनकी ओर कोई देखना गंवारा नहीं करता,इस साल भी दीपावली आई है,हम आप अपने बच्चों के साथ जमकर खरीददारी कर रहे हैं,और उधर वो गरीब बच्चे एक आस के साथ सबकी ओर देख रहे हैं,हर बार भले उनकी आस धरी की धरी रह गई हो पर इस साल उनकी चाहत पूरी हो गई,वो कैसे,आइए आपको बताते हैं।

जब उन तक पहुंची कंचन जायसवाल: हल करने उनके मन का सवाल,जब उन तक पहुंची कंचन जायसवाल”, आज यह केवल मैं कोई पंक्ति नहीं लिख रहा,बल्कि जो हुआ है उसे बयां कर रहा हूं,आपको बताऊं की गढ़वा जिला मुख्यालय निवासी समाजसेवी विनोद जायसवाल और उनकी पत्नी जो आगामी नगर परिषद चुनाव की अध्यक्ष पद की भावी प्रत्याशी भी हैं आज नगर परिषद क्षेत्र के उन सभी वार्डों में पहुंची जहां उनके द्वारा उन बच्चों के बीच मिठाई और पटाखे का वितरण किया गया जो उससे सदैव महरूम रहा करते हैं,हम ऊपर में उन्हीं बच्चों के बावत ही बता रहे थे की बाजारों में जब हम आप अपने बच्चों को मिठाई,खिलौने और पटाखे दिला रहे होते हैं ठीक उसी वक्त वो अभावग्रस्त बच्चे कभी उन खिलौने मिठाई और पटाखे को तो कभी हमारे बच्चे को देख एक आह भर रहे होते हैं,साथ ही उनके मन में सवाल उपजता है की काश हमें भी कोई ये सारी चीजें दिला देता,कुछ देर के लिए ही सही गम भरी जिंदगी में खुशी के चंद लम्हे दे जाता,तभी हमने कहा की आज उन बच्चों तक पहुंच उन्हें मिठाई और पटाखा देते हुए कंचन जायसवाल ने उनके मन में उपजे सवाल को हल कर दिया।

मैं नहीं देख सकती किसी को कुहंकते हुए: चुनावी वर्ष होने के नाते नहीं बल्कि अपने सामर्थ्य के अनुसार हर साल वैसे अभावग्रस्त बच्चों के बीच हर पर्व त्योहारों में कभी मिठाई तो कभी खिलौने तो इस दीपावली में मिठाई के साथ पटाखे का वितरण करने वाली कंचन जायसवाल ने कहा की केवल अपने बच्चों के चेहरे पर खुशियां देख खुश होने वालों में से हम दंपत्ति नहीं हैं,अपनों के साथ साथ उन गरीब बच्चों के चेहरे पर खुशियां देखना ही मेरा हर बार का ध्येय होता है,तभी तो मैं हर पर्व त्योहारों में उन तक पहुंच उनके मुरझाए चेहरे पर खुशियां लाने का प्रयास करती हूं,उनके द्वारा कहा गया की आज जब मैं उनके पास पहुंची तो वो उसी ओर नज़र किए हुए आस देख रहे थे जिधर से मैं उन तक पहुंचती हूं,मैं जैसे ही उनके पास पहुंची वो चहकते हुए मुझसे लिपट पड़े,मैं उस क्षण को शब्दों को बयां नहीं कर सकती जैसा मैंने उस वक्त महसूस किया,मैंने सभी को मिठाई और पटाखे दिए,और कहा की कभी भी आपको उदास नहीं रहना है,कभी चेहरे पर मायूसी नहीं लानी है,मैं हर समय आपके लिए तत्पर हूं,आपके इन अबोध को अभाव का बोध ना हो मैं हर वक्त इसका प्रयास करूंगी।

ये भी रहे साथ:- वितरण के वक्त कंचन जायसवाल के साथ उपेंद्र सिंह,प्रिंस जायसवाल,नमन केसरी,विकास जायसवाल,शुभम केसरी,कुशल केसरी,सुमित गुप्ता,हर्ष जायसवाल,सत्यम जायसवाल,शाहनवाज खान,सुधांशु कुमार,अंकुर अग्रवाल,शुभम जायसवाल और ऋषभ केसरी सहित कई लोग साथ रहे।