काश उसी तरह मंत्री का ख़्वाब भी पूरा करता…?
आशुतोष रंजन
गढ़वा
किसी भी विभाग का राशि ख़र्च होता है तो योजना के कार्यान्वयन पर लेकिन इस राज्य के गढ़वा जिला में एक ऐसा विभाग भी है जिसके द्वारा खाने पर ख़र्च किया जाता है,हम बात जिला के पीएचईडी विभाग की कर रहे हैं जिसके द्वारा खाना खिलाने को ले कर साधारण नहीं बल्कि भव्य एवं आकर्षक व्यवस्थाएं की जाती हैं,पर विडंबना इस बात का है कि जिस दिली तन्मयता के साथ विभाग द्वारा खाना खिलाने को ले कर व्यवस्था की जाती है काश धरातल पर काम को ले कर भी संजीदगी दिखाई जाती…?
खाना बढ़िया खिलाता है पीएचईडी विभाग : – आज जिला समाहरणालय में राज्य के सभी जिलों के पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंताओं की एक ज़रूरी महत्वपूर्ण एवं कार्यों की समीक्षा बैठक विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा की गई तो अंदरखाने से यही जानकारी मिली कि कई जिलों के अभियंताओं पर वो खासा नाराज़ हुए क्योंकि उनके द्वारा नेक नियत और ईमानदार प्रयास के साथ कार्यों को धरातल पर पूर्ण नहीं किया गया,इतनी जानकारी तो हुई लेकिन यह मालूमात नहीं हो सका कि वो अपने यहां के विभाग के कार्यों को किस रूप में नज़र किए,ख़ैर जब राज्य के कई जिले काम में पीछे हैं तो भला गढ़वा में कैसे आगे हो जायेगा,लेकिन हां जिला के अपने विभाग पर नाराज़ होना तो बनता भी नहीं है क्योंकि काम भले ना किया जाता हो पर खाना तो खिलाया जा रहा है न,बात आज की बैठक की करें तो खाना व्यवस्था का क्या कहना,स्टाटर से ले कर बढ़िया नाश्ता,चाय,कॉफी और खाना तो इतना बढ़िया था कि खाने वाले यह तय नहीं कर पा रहे थे कि कौन से व्यंजन खाएं और किसे छोड़ें,अब भाई ऐसा भव्य व्यवस्था था ही तो तारीफ़ करना तो बनता ही है,काम का ना सही विभाग खाना तो खिला रहा है न तो क्यों नहीं सराहना की जाए |
काश उसी तरह मंत्री का ख़्वाब भी पूरा करता : – गढ़वा तो गढ़वा ही इस जिले का शहरी मुख्यालय हो या सुदूर देहात जहां बाहर के लोग जिनके द्वारा मिथिलेश ठाकुर के यहां से विधायक बनने के पहले गढ़वा को देखा गया था और जब अब उनके द्वारा यहां आ कर देखा जा रहा है तो बरबस उनके ज़ुबान से यही निकल रहा है कि सच में गढ़वा काफ़ी हद तक बदल गया है,और इसका सारा श्रेय उनके द्वारा सीधे रूप में विधायक सह मंत्री मिथिलेश ठाकुर को दिया जाता है,लोग उन्मुक्त कंठ से सराहना करते हुए सबसे पहले यह कहते हैं कि काश यह और पहले यहां के विधायक बन गए होते तो गढ़वा पहले ही बदल गया होता,ख़ैर देर से ही सही गढ़वा को उनके द्वारा दिली शिद्दत से बदला गया और अनवरत बदलाव किया जा रहा है क्योंकि राजनेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त में मंत्री मिथिलेश ठाकुर अपवाद हैं,क्योंकि उनके द्वारा अपने संघर्ष के दरम्यान विकास की बाट जोहते लोगों से वादा नहीं बल्कि दुर्दिन हालात को देख कर संकल्प लिया गया था,और जब वो यहां के विधायक और राज्य के मंत्री बने तो धरातल पर विकास को उतार अपने संकल्प को पूरा कर रहे हैं,उनके द्वारा हर विकासीय क्षेत्र में काम किया गया लेकिन अफ़सोस तब होता है जब उनका ख़ुद का विभाग काम के मामले में काफ़ी पीछे है,ऐसा नहीं है कि उनके द्वारा विभागीय योजनाओं की स्वीकृति नहीं दिलाई गई,जब उनके द्वारा राज्य के अन्य विधानसभा क्षेत्रों से ज़्यादा अपने यहां के कार्यों की स्वीकृति दिलाई गई तभी तो उन्हें सदन में विपक्षी नेताओं द्वारा चोर भी कह दिया गया,लेकिन उनके द्वारा स्वीकार किया गया कि अपने गढ़वा को पूर्ण रूपेण विकसित करने के लिए मुझे चोर बनना मंज़ूर है,तब आप सोचिए कि क्या उनके द्वारा ख़ुद का विभाग यानी पीएचईडी के अंतर्गत योजनाओं की स्वीकृति नहीं दिलाई गई होगी,आपको तो बेशक याद होगा कि जिनके द्वारा अपने संघर्ष के दरम्यान जहां टैंकर से लोगों को पानी उपलब्ध कराया जाता था तो आप दिल पर हाथ रख कर सोचिए कि क्या उन्हें उस वक्त की परेशानी याद नहीं होगी,बेशक याद रही तभी तो लोगों को शुद्ध पानी मिल सके इस निमित महत्वपूर्ण योजनाओं की स्वीकृति दिलाई गई,कई तो धरातल पर पूर्ण हुए पर कुछ ज़रूर अधूरे हैं,तभी तो कहना पड़ रहा है कि ख़ुद के विभाग द्वारा जितना ध्यान खाना खिलाने पर दिया गया काश उतना ध्यान उनके दिली ख़्वाब को पूरा करने पर दिया गया होता..?