खूबियां और नाकामियां दोनो नज़र आती है मुझे


आशुतोष रंजन
गढ़वा

मेरे द्वारा लिखे हुए खबरों को पढ़ कर के सराहने से ज्यादा लोग उलाहना देने के साथ साथ कभी कभी गाली भी दिया करते हैं,लेकिन इससे मैं तनिक भी विचलित नहीं होता हूं क्योंकि मेरे पिताजी द्वारा अक्सर कहा जाता है की बच्चा और विचारक कभी ना तो सोच कर कुछ बोलता है और ना ही कुछ लिखता है,अब रही बात मुझे लोग क्यों गाली देते हैं उस बावत बताऊं की वो चाहे सिविल प्रशासन की बात हो या पुलिस प्रशासन की मैं एक मुट्ठी काम को अपनी लेखनी के ज़रिए अक्सर बड़ा कार्य साबित करता हूं,बस इसी लेखनी को अक्सर ख़राब और बेकार कहा जाता है,लेकिन इतना के बाद भी मैं उन्हें कुछ नहीं कहता हूं क्योंकि जो लोग आपको फूल का माला पहनाते हैं उन्हें यह भी हक होता है की वो आपको जुत्ता का माला भी पहनाएं,लेकिन बात यहां उनकी कर रहा हूं जिनके द्वारा आज मेरे ख़बर को सिरे से गलत साबित करते हुए कहा गया की घटना तो सही है लेकिन उसके बावत जो ख़बर लिखी गई है वो गलत है,हम आज घटित हुई सड़क दुर्घटना वाली ख़बर की बात कर रहे हैं,उस ख़बर को आप भी बेशक पढ़े होंगें,मैं उसका स्क्रीन शॉट भी इस खबर में पोस्ट कर रहा हूं,अगर आप सुबह वाले उस ख़बर को नहीं पढ़े होंगें तो उक्त ख़बर के स्क्रीन शॉट को एक बार मेरे दिली अनुरोध पर पढ़ लीजिए,मुझे उम्मीद है आप पढ़ लिए होंगें अब आप बताइए की किसी घटना के बारे में मुझे सूचना मिली,मैं उस स्थल पर पहुंचा नहीं हूं,लेकिन आप तक जानकारी पहुंचे इस निमित ख़बर के ज़रिए बताना ज़रूरी है इस लिहाज़ से मैंने लिखा की सड़क दुर्घटना की सूचना मिली है,साथ ही यह भी लिखा की उस घटना में मौत भी हुई है उसे अभी इस सूचना से सही नहीं माना जा सकता यानी की स्पष्ट नहीं है,लेकिन घटना घटित हुई है,इस ख़बर से यही हुआ की सबों तक जानकारी पहुंची की गढ़वा में सड़क दुर्घटना हुई है,अब यही लिखना उन साहेब को नागवार गुजरा और उनके द्वारा कह दिया गया की घटना तो सही है लेकिन ख़बर पूरी तरह गलत है,मैं इतना के बाद भी ना तो उन्हें कुछ नहीं कहूंगा,हो सकता है किसी कारण या किसी के द्वारा मेरे विषय में कुछ कहने के कारण उनके द्वारा ऐसा कहा गया हो,लेकिन इतना तो है न की दिल को लगता है,कोई कोई बात दिल को लग जाती है,साथ ही यह भी कह दूं की जिस तरह हमारी आंखें आपकी खूबियां देखती हैं तो उसे कभी कभी नाकामी भी नज़र आती है,इसलिए बेहतर होगा की बंद नज़र को हर वक्त खोले रखने और उसे कागज़ पर उकेरने को विवश मत कीजिए।