यही है वो विकासीय जोड़ी


आशुतोष रंजन
गढ़वा

बदलाव की आस जोहते हुए दशकों गुज़र जाने और बस एक ही आसरा पर विकसित होने की सोच के साथ बिहार से अलग हो कर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ,पर अफ़सोस इस बात का है की नेक इरादे के साथ काम नहीं होने के कारण जिस रूप में राज्य को परिणत होना चाहिए था वो नहीं हुआ,पर कालांतर में जो नहीं हो सका वो अब वर्तमान में हो रहा है क्योंकि जहां एक तरफ़ नेक नियत और एक निश्चित इरादे के साथ काम हो रहा है वहीं वो सरकार राज्य में सत्तासीन है जिसके प्रमुख घटक के मुखिया के ही सालों आंदोलन के बाद ही हमें अपना राज्य यानी झारखंड मिल सका,हम बात शिबू सोरेन की कर रहे हैं,वर्तमान में वो बीमार हो कर इलाजरत हैं लेकिन आज भी उनके दिल को राज्य के विकास की चिंता सालती रहती है,यह उस वक्त परिलक्षित हुआ जब राज्य में विकास के पर्याय बन चुके गढ़वा विधायक सह सूबे के मंत्री मिथिलेश ठाकुर उनसे उनका कुशल क्षेम जानने उनके पास पहुंचे,कुछ देर के मुलाकात में ही गुरुजी ने उनसे गढ़वा सहित पूरे राज्य के विकासीय हालात के बारे में जानकारी ली।

तो मैं कर रहा हूं शेष: – गुरुजी ने कहा की यह अब शायद फिर से बताने की जरूरत नहीं रह गई है की गांव के हालात में बदलाव ना होता देख किस तरह हमने एक लंबी लड़ाई लड़ कर राज्य को अलग किया,उसके बाद बहुत हद तक कोशिश कर राज्य को विकसित किया,अब हमने आप सबों के कांधे पर जिम्मेवारी दे दी है,उधर मंत्री ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा की आपने जो हमें जिम्मेवारी दी है उसका हम बखूबी निर्वहन कर रहे हैं,आपके आशीर्वाद के बदौलत और आपसे सदैव मिलने वाले दिशा निर्देश को दिल से आत्मसात करते हुए जहां एक तरफ़ मुख्यमंत्री जी समस्या का समूल अंत करते हुए राज्य को सही मायने में विकास के पथ पर अग्रसर करने में प्राणपन से जुटे हुए हैं तो इधर मैं भी अपने उस गढ़वा को गढ़ने के लिए निरंतर तीव्र गति से प्रयासरत हूं जो किस रूप में अनगढ़ था उससे आप पूरी तरह वाकिफ़ हैं,जहां सुदूर गांव देहात में लोगों को सरकारी योजनाओं के आने का इल्म नहीं होता था आज उन गांव भी विकासीय योजनाएं सरजमीन पर कार्यान्वित हो रही हैं और गांव से ले कर शहर तक विकसित हो रहा है,और यही चहोमुखी विकास विपक्षी ज़ुबान को मुद्दा विहीन कर दिया है।

यही है वो विकासीय जोड़ी: – विकास से भटक चुके झारखंड को ट्रैक पर लाने में इन दोनो की जोड़ी पूरी तरह कारगर सिद्ध हो रही है,हम बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री मिथिलेश ठाकुर की कर रहे हैं,राज्य निर्माण के इतने साल गुजर जाने के बाद भी जो राज्य के जो गांव बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम थे आज वो विकासीय कार्यों से पुरनूर हो रहे हैं,सबसे बड़ी बात यह है की राज्य को सम हालात नहीं विषम हालात में विकसित करने की शुरुआत की गई,यहां यह बताने की जरूरत नहीं है की जब यह सरकार सत्तासीन हुई तब जहां एक ओर राज्य का विकासीय कोष ख़ुद माली हालत में मिला तो वहीं दूसरी ओर कोरोना ने ग्रहण लगाया,लेकिन इतना के बावजूद भी इस पंक्ति के मानिंद “राह में पड़े पर्वत को हौसले से तोड़ा इन्होंने,रोक रही थी जो राह दरिया,धार उसकी मोड़ा इन्होंने”,जज्बे से लबरेज़ हो कर विषम हालात से उबरते हुए राज्य की दुर्दीनता दूर करने की शुरुआत हुई और आज आलम है की अपना झारखंड उन राज्यों की श्रेणी में खड़ा होने जा रहा है जो ख़ुद को विकसित होने का दंभ भरते हैं,ऐसे में यह कहने में कोई गुरेज नहीं है की “वो काम कर रही है यह जोड़ी की,लोग याद इन्हें किया करेंगें,और लेंगे जब नाम इनका तो,बड़े अदब से लिया करेंगें।