क्या ऐसे ही कुर्बान होती रहेंगी बेटियां..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

एक सामान्य सपने ले कर जीने वाली लड़की,झारखंड के एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी, जिसने अभी जीना शुरू भी नहीं किया था कि जला कर मार दी गयी क्यों.?,क्योंकि खिलजी वंश का दिल आ गया था उसपर,उसे बीवी बना कर अपनी झोपड़ी में ले जाना चाहता था,एक पढ़ी लिखी लड़की किसी जाहिल से विवाह का प्रस्ताव क्यों स्वीकार करती.?,सो मना कर दिया,सरफिरे को यही इनकार चुभ गई,वही बर्बर मुगलिया सोच,जो पसंद आ गयी वह मेरी है,खिलजी से लेकर सबने यही तो सिखाया है,किसी अंकिता की इतनी औकात कि वह किसी शाहरुख की बात काट दे.?,शाहरुख घर में घुसा,पेट्रोल गिराया और जला दिया,लड़की खुद दौड़ कर आंगन में आई,बाल्टी से पानी लेकर अपने ऊपर उड़ेला,अठारह वर्ष की बच्ची की जीने की लालसा,इस छोटी आयु में मरना कौन चाहता है,अस्पताल में वह हर मिलने वाले से एक ही बात पूछती थी मैं बच तो जाऊंगी न.?,पर बिटिया नहीं बची,नब्बे फीसदी जल गई थी कैसे बचती,जीवित जला दी गयी लड़की की पीड़ा कोई नहीं समझ सकता,कितना तड़पी होगी और उसके तड़पने से कितना खुश हुआ होगा शाहरुख,इसी लिए तो जलाया था,कहता था मेरी न हुई तो तड़पा कर मारूंगा,कोई मानवतावादी नेता,एक्टिविस्ट,दलित चिंतक, पत्रकार उससे मिलने अस्पताल नहीं गया,क्यों जाता.?,राजनीति लायक मुद्दा नहीं था न,मर गयी तो मर गयी,यह राजनीति और पत्रकारिता की संवेदना का स्तर है,आप सोच कर देखिये शाहरुख भी तो जानता होगा कि इसके बाद पकड़ा जाएगा और जिंदगी जेल में सड़ते हुए कट जाएगी,पर नहीं,वह जानता है कि उसके जैसे दस शाहरुखों ने यदि दस अंकिताओं को जला दिया तो ग्यारहवीं अंकिता किसी शाहरुख को मना नहीं कर पायेगी,वह अपने मिशन में सफल है,यही उसकी विजय है,पूरा खेल खौफ फैलाने का है,वह यह भी जानता है कि उसके मुद्दे पर कोई बड़ा विरोध नहीं होगा,बल्कि उसको बचाने के लिए फंडिंग होगी और सम्भव है कि कुछ वर्षों में वह जेल से बाहर आ कर सुखी जीवन जीने लगे,इस देश में ऐसा होता रहा है,शाहरुख अंकिता के पीछे बहुत दिनों से पड़ा था,वह कई बार उसके घर जा कर धमका चुका था,हर बार अंकिता के पिता उसे समझाने का प्रयास करते और छोड़ देते,यकीन कीजिये उसके पिता की इसी अति-सहिष्णुता ने अंकिता की जान ली,यदि पिता उसी समय पुलिस के पास जाते,राजनैतिक संगठनों के पास पहुंचते तो संभव था कि आज लड़की जी रही होती,पर किसी भी तरह चुपचाप मामले को सलटा लेने के भाव ने अंकिता को मार दिया,यह कठोर सच है कि हमारे देश में बेटियों से जुड़े मामले में इस तरह की निर्लज्ज चुप्पी आम है,उधर पुलिस कस्टडी में शाहरुख हंस रहा है,क्या वो प्रशासनिक व्यवस्था का मज़ाक नहीं उड़ा रहा है.?,आपको कोई नही बचाएगा,जिस दिन देश में ऐसे लोग आपके आसपास आपके सामने ही बेटियों का चलना दूभर कर देगें,आलम होगा की हम आप मिट जायेंगे अति संवेदनशील बनिए,ऐसे लोगो के लिए आगे आइए,सशस्त्र होइए एवं इनका बहिष्कार कीजिए,सारी डिग्री और महल धरे के धरे रह जायेंगे,देख लीजिएगा सबक सीखिए इतिहास और वर्तमान से,साथ ही कहूं की आप देखियेगा केस चलेगा तब शाहरुख की माँ मीडिया में आ कर कहेगी हम बहुत गरीब हैं,मेरा बेटा ही कमाने वाला है,उसे छोड़ दिया जाय, देश की बौद्धिकता उछलने लगेगी,आधी रात को कोर्ट खुलने लगेंगे,उसको नाबालिग साबित कर देंगे,कोई उसे सिलाई मशीन तो कोई 25 -50 हजार रुपए भी देगा,जैसे निर्भया की हत्या करने वाले को दिया था,सब उसकी ओर खड़े हो जाएंगे,अंकिता की पीड़ा किसी को याद नहीं रहेगी,अरे भाई मेरे बेटियां समाजिक धरोहर है,आइए इनकी सुरक्षा करें।