लोग कर रहे पुष्टि पर उनके चेहरे से नहीं झलकती संतुष्टि


आशुतोष रंजन
गढ़वा

अब तलक तो हम आप इसी से वाक़िफ होते रहे हैं की राजनीति केवल ज़ुबानी होती है,क्योंकि जिस भी राजनेता को लोगों ने अपना प्रतिनिधि चुना उनके द्वारा ज़मीन से पूरी तरह ख़ुद को परे रखते हुए ज़ुबानी वादे करने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया,लेकिन सही मायने में राजनीति ज़मीनी भी होती है इसे परिलक्षित किया गढ़वा विधायक सह सूबे के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने,जिनके द्वारा उस क्षेत्र को गढ़ने का संकल्प लिया गया जो पूरी तरह अनगढ़ था,लेकिन गढ़ने के अपने संकल्प के साथ किए जा रहे ज़मीनी काम के बाद क्या वो पूरी तरह संतुष हैं,ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आइए आपको बताते हैं।

फिर भी संतुष्ट नहीं दिख रहे मंत्री मिथिलेश: – किसी एक काम को आगाज़ से अंजाम तक पहुंचाने के दरम्यान कितनी परेशानी झेलनी पड़ती है और उस वक्त कितना तनाव झेलना पड़ता है शायद उसे बताने की ज़रूरत नहीं है लेकिन जैसे ही वो काम अंजाम पर पहुंचता है यानी पूरा होता है तो जहां एक ओर तनाव काफूर होता है तो वहीं चेहरे पर संतुष्टि का भाव झलकता है,पर अगर आप गौर से मंत्री मिथिलेश ठाकुर के चेहरे को देखेंगे तो आपको उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नज़र नहीं आयेंगे,यह तब है जब उनके द्वारा उस गढ़वा को नए सिरे से विकसित किया जा रहा है जिसे अविकसित कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा,क्योंकि विकास के पहले पायदान सड़क निर्माण को पूरा करते हुए उसी ज़रिए वो हर गांव में समुचित विकास पहुंचा रहे हैं,विधायक निर्वाचित होने से पूर्व जब वो गांव पहुंचते थे तो जहां एक ओर ग्रामीणों के चेहरे मुरझाए और नज़रें सवाल करती हुई दिखती थीं तो वहीं दूसरी ओर उनकी असहनीय पीड़ा देख वो ख़ुद भी भावुक हो जाया करते थे,इधर गुजरते वर्तमान वक्त में बात करने के दरम्यान कई बार उनके द्वारा कहा गया की मैं उस वक्त के हालात को शब्दों में बयां नहीं कर सकता क्योंकि उसे ग्रामीणों ने झेला है और मेरे द्वारा शिद्दत से महसूस किया गया है,तभी तो उसी वक्त मैंने संकल्प लिया था की आज ना तो मैं किसी पद पर हूं और ना ही मेरे हाथ में कोई अधिकार है,कल अगर मेरे हाथ में अधिकार आता है तो अविकसित गांव में पूरी तरह विकसित किए जाने के साथ साथ उन अबोध ग्रामीणों को विकास का बोध कराते हुए उनके मुरझाए चेहरों को हर्षित करूंगा,जब आशावान लोगों ने मुझे अपना जनप्रतिनिधि चुना और मेरी कार्यकुशलता को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मुझे मंत्री बनाया गया तब से अनवरत अनथक प्रयास करते हुए अनगढ़ गढ़वा को गढ़ने में किस तरह जुटा हुआ हूं यह मैं कभी ख़ुद से कहता नहीं हूं क्योंकि आप ख़ुद से उसे नज़र कर रहे हैं,लेकिन हालिया एक कार्यक्रम के दरम्यान जब मंत्री के चेहरे को लोगों ने क़रीब से देखा तो वो उन्हें असंतुष्ट सा नज़र आया,लोगों ने कहा की जब हम आप किसी एक काम को करने के बाद पूरी तरह संतुष्ट हो जाते हैं तो उधर कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं जिनके चेहरे कुछ किए बिना भी संतुष्ट नज़र आते हैं,पर अपने क्षेत्र सहित जिला और राज्य में अपने प्रभाव से विकासीय काम को मूर्त रूप देने वाले मिथिलेश ठाकुर के चेहरे से संतुष्टि का भाव नुमाया नहीं होता,लोगों ने कहा की इससे यही स्पष्ट होता है की सालों पहले लोगों के दर्द को महसूस कर भावुक होते हुए एक दृढ़ संकल्प के तहत अनवरत विकास करने वाले मंत्री द्वारा अब तलक उस रूप में गढ़वा को नहीं गढ़ा गया है जैसा उन्होंने सोचा है,इसलिए अभी भी ऐसी योजनाएं कार्यान्वित होनी बाक़ी हैं जिससे गढ़वा एक नए स्वरूप में गढ़ा नजर आएगा और तब मंत्री का असंतुष्ट चेहरा भी संतुष्ट नज़र आएगा।