क्या कीजिएगा कभी कभी होता है ऐसा


आशुतोष रंजन
गढ़वा

जब मैं न्यूज़ नहीं लिख रहा होता हूं तो यूट्यूब पर गाना सुनते सुनते हुए किसी विषय पर सोचता हूं,ऐसे ही सुनने और सोचने के दरम्यान एक गाना सुना की पटना का नाम सुनते ही….दिए,यह लाइन याद हो गया,आज उसी लाइन का इस्तेमाल गढ़वा में आज घटित हुई एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में कर के देखा तो बड़ा फिट बैठा,आपने शीर्षक पढ़ा होगा जिसमें हमने लिखा की पत्रकार का सवाल सुनते ही पसीना छूट गया.?,अब आप बेशक जानना चाहेंगे की ऐसा क्या हुआ तो आपको बताऊं उससे ज्यादा आप इतना तो जान ही रहे हैं वर्तमान गुजरते वक्त में सत्तापक्ष हो या विपक्ष इनके द्वारा इतना प्रेसवार्ता किया जाता है और उसमें नेताओं द्वारा उतना बोला जाता है जितना वो शायद ही कभी आम दिनचर्या में किसी से बोलते होंगें,खैर छोड़िए शायद उन्हें ज्यादा बोलने की आदत भी हो जाती है,अब आज क्या हुआ उस विषयक आपको बताऊं की राजनीति के एक पक्ष द्वारा प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया,पत्रकार बंधु पहुंचे और मौजूद नेताओं द्वारा बोलना शुरू हुआ,इसी बीच नेताओं द्वारा कुछ ऐसा बोला गया,जिसे बीच में रोकते हुए पत्रकारों द्वारा एक सवाल किया गया,फिर क्या था नियम के तहत नेताओं को उक्त सवाल का जवाब देना चाहिए था पर ये क्या सभी नेताओं को जैसे सांप सूंघ गया,सभी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे,देखने से तो ऐसा ही महसूस हुआ की उन्हें उस सवाल का माकूल जवाब नहीं सूझा,तभी तो जहां एक ओर उक्त सवाल से घबरा कर उनके चेहरे पर इस मौसम में भी पसीने के बूंदे साफ़ तौर पर देखा गया तो वहीं दूसरी ओर उस सवाल को पास कर बात आगे बढ़ाने की जगह नेताओं द्वारा प्रेसवार्ता के बीच में ही पत्रकारों से यह कहा गया की आज के इस प्रेसवार्ता को कैंसिल यानी रद्द किया जाता है,तभी हमने कहा की पत्रकार का सवाल सुनते ही पसीना छूट गया.?