क्या इस्तीफा मंजूर हुआ और अब कौन होगा जिलाध्यक्ष..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

जहां तक मुझे मालूम है राजनीतिक पार्टी से जुड़े किसी भी पदधारी का इस्तीफ़ा कमिटी द्वारा मंजूर किए जाने के बाद ही वो सही मायने में इस्तीफ़ा कहा जाता है,लेकिन अक्सर देखा जाता है की नेताओं द्वारा किसी बात को ले कर नाराजगी ज़ाहिर करने के लिए सोशल मीडिया के ज़रिए इस्तीफे की बात कह कर नाराजगी ज़ाहिर की जाती है,कुछ ऐसा ही वाक्या झारखंड के गढ़वा में नुमाया हुआ,जहां सत्ताधारी दल यानी झामुमो की महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष अंजली गुप्ता पार्टी नेताओं के व्यवहार से आहत हुईं और उनके द्वारा फेसबुक पोस्ट के ज़रिए इस्तीफ़ा दे दिया गया,उनके द्वारा पार्टी के जिम्मेवार पदाधिकारी को अपना इस्तीफ़ा भेजा गया या नहीं इस आशय से तो मैं अनजान हूं लेकिन इस जानकारी से बखूबी वाक़िफ हूं की वो बहुत ज्यादा नाराज़ हो गई हैं,उधर उनकी नाराजगी कहीं दूर ना हो जाए उसे बरकरार रखने के लिए भी कई राजनीतिक पार्टियां उनके गुस्से के गर्म तवे पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही हैं,वो किस हद तक नाराज़ हैं और राजनीतिक दलों के लोग क्या कर रहे हैं आइए आपको बताते हैं।

नाम उसने मेरा बेवफ़ा रख दिया: एक गीत इन दिनों बहुत चर्चित हुआ है की “हंस के सहते रहे जिनके जुल्मों सितम,नाम उसने मेरा बेवफ़ा रख दिया”,अंजली गुप्ता की नाराज़गी शब्दों में ज़ाहिर करने के लिए हमने गीत की पंक्ति का सहारा लिया,लेकिन सूत्र बताते हैं की वो इससे भी कहीं ज्यादा नाराज़ हैं,उनका सीधे रूप में कहना है की उक्त राजनीतिक पार्टी में महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता है,कुछ ऐसा ही मेरे साथ अक्सर हुआ जिसे मैं आज तलक सहन करती रही,पर आज जब एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एक बार फ़िर से हुआ तो मेरी सहन करने की शक्ति जवाब दे गई और मैं तत्क्षण निर्णय करते हुए केवल कार्यक्रम से ही नहीं बल्कि पार्टी से ही निकल गई।

ऐसे सेकी जा रही रोटियां राजनीति की: – नाराज़ हो चुकीं अंजली गुप्ता की नाराज़गी कहीं किसी कारण दूर ना हो जाए,उनकी उस नाराज़गी को बरकरार रखने के साथ साथ अब उन्हें अपने पाले में करने को ले कर उनके गुस्से के गर्म तवे पर कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा जमकर राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही हैं,बताया जा रहा है की एक राजनीतिक पार्टियों के लोग उनके घर से लौट नहीं रहे की दूसरी पार्टियों के लोग इस इंतजार में बाहर खड़े रह रहे की कब अपनी बारी आए,और यह सारी कवायद मात्र इसलिए की जा रही है की झामुमो से अलग हुई अंजली गुप्ता को अब अपनी पार्टियों में स्थान दिया जाए।

अब कौन होगा जिलाध्यक्ष: – अंजली गुप्ता का इस्तीफ़ा अगर मंजूर हो जाता है और वो पार्टी से अलग हो जाती हैं तो फिर सवाल उठेगा की अब झामुमो महिला मोर्चा का जिलाध्यक्ष कौन होगा,यह बाद की बात भले हो लेकिन जिस वक्त से अंजली द्वारा पार्टी छोड़ने से संबंधित सूचना अपने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए ज़ाहिर की गई है यह चर्चा तो उसी समय से बलवती हो रही है की अब कौन,यानी इनके बाद अब पार्टी किसे जिलाध्यक्ष की जिम्मेवारी देगी,अब कौन होगा महिला मोर्चा का जिलाध्यक्ष.?

राजनीतिक पार्टियों की बात कौन करे अपने घरेलू और पारिवारिक जिंदगी में भी अक्सर एक दूसरे के प्रति नाराज़गी होती है,लेकिन कभी किसी की नाराज़गी दूर हो जाती है तो कोई नाराज़ ही रह जाता है,अब देखना यह होगा की क्या अंजली गुप्ता नाराज़ रहती हैं या उनकी नाराज़गी एक निश्चित वक्त में दूर हो जाती है.?,लेकिन इतना ज़रूर कहना चाहूंगा की जिस व्यवहार का हवाला देते हुए उनके द्वारा झामुमो को छोड़ा गया है,यहां पर उन्हें गंभीरता से सोचना होगा की सभी राजनीतिक पार्टियां और उसके लोग कमोवेश एक जैसे ही होते हैं।