जाड़ा से कांपत रही ये हुजूर
आशुतोष रंजन
गढ़वा
आप अपने जिले के प्रखंड और अनुमंडल से ले कर जिला समाहरणालय तक पदाधिकारियों को अपने अपने कार्यालय में बैठ कर प्रशासनिक कार्य करने के साथ साथ आपकी परेशानी सुनते और उसका निदान करते देखते होंगे,और सोचते भी होंगे कि कभी ये हमारे शहर मुख्यालय और गांव में हमारे पास पहुंचते और हमारा हाल जानते आपका सोचना वाजिब भी है,राज्य के अन्य जिलों की बात तो हम नहीं करेंगे लेकिन इस जिले में तो आपकी सोच सफलीभूत होती है क्योंकि प्रखंड और अनुमंडल से ले कर जिला के वरीय पदाधिकारी कार्यालय से निकल आपके पास केवल पहुंचते ही नहीं हैं बल्कि क़रीब से आपकी समस्या को सुनने और नज़र करने के साथ साथ उसका समाधान भी करते हैं तभी तो दिन के उजाले में कौन कहे जिले के डीसी रात के अंधेरे में निकल पड़े,आख़िर वो वज़ह क्या थी जिसके कारण गढ़वा डीसी को रात में अचानक निकलना पड़ा,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।
जब रात में अचानक शहर में निकल पड़े गढ़वा डीसी : – सहृदय,व्यवहार कुशल,प्रशासनिक कार्यदक्षता से परिपूर्ण और साथ ही टीम वर्क के तहत जिले में पूरी पारदर्शिता के साथ विकासीय योजना को धरातल पर अमलीजामा पहनाने वाले जिले के डीसी शेखर जमुआर कार्यालय का कार्य निपटाने के बाद अपने आवास पहुंचते हैं,उधर आवास स्थित गोपनीय कार्यालय में भी कुछ घंटे फाइल का काम ख़त्म कर आराम करने की जगह रात के दस बजे डीपीआरओ सह सामाजिक सुरक्षा अधिकारी नीरज कुमार के साथ शहर में निकल पड़ते हैं,वो सीधे टाऊन रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं,हम पत्रकारों को भी सूचना दी जाती है,हम सभी जब स्टेशन पहुंचते हैं तो देखते हैं कि डीसी बाहर में हम पत्रकारों का ही इंतज़ार कर रहे थे,हम सबों द्वारा जब पूछा जाता है अभी इतनी रात को तो वो कहते हैं कि आइए आपको दिखाने के साथ साथ बताते हैं कि हम इतनी रात को आख़िर क्यों निकले हैं वो स्टेशन के अंदर पहुंचते हैं तो नज़र आता है कि उनके द्वारा कंबल दिया जा रहा है,तब समझ आया कि आख़िर इतनी रात को वो शहर में क्यों निकले थे,दरअसल मानवीय संवेदना से भी लबरेज़ डीसी द्वारा उनके देह पर कंबल ओढ़ाया गया जो हर रोज़ एक अदद कंबल की आस जोहते हुए यूं ही ठिठुरते हुए रात गुज़ार दिया करते हैं,आप ख़बर पढ़ने के साथ साथ सचित्र नज़र भी कर रहे हैं कि डीसी द्वारा हर उन ग़रीबों के देह पर कंबल ओढ़ाया जा रहा है जो इसी कंबल का जाड़े के शुरुआत से ही राह ताक रहे थे,स्टेशन के बरामदे से ले कर प्लेटफॉर्म पर ठिठुरते हुए बैठे और किसी तरह जागते आंखों में सोने का प्रयास कर रहे ग़रीब असहाय और जरूरतमंदों को डीसी एवं सामाजिक सुरक्षा पदाधिकारी नीरज कुमार द्वारा कंबल दिया गया,स्टेशन के बाद वो बस स्टैंड रंका मोड़ भी पहुंचे,जहां मुफलिसी के आलम में सब्ज़ी बिक्री कर किसी प्रकार गुजारा करने वाली महिलाएं जो उस वक्त एक बोरे पर बैठ अपनी सब्ज़ी को समेट रही थीं और पास में ही एक बोरा रखा हुआ था जिसे ओढ़ कर वो रात गुज़ारा करती थीं,लेकिन डीसी द्वारा कंबल दे दिए जाने से अब उन्हें राहत मिलेगा,उधर जो आंखें एक कंबल की आस जोहते जोहते पथराने के हालात में आ चुकी थीं उसमें तब एक चमक देखी गई जब उन्हें कंबल मिला,कोई उन्हीं आंखों से अपनी कई रातों की पीड़ा और अब से मिलने वाली राहत को बयां कर रहा था तो कई के मुंह से यही बोल निकला कि जाड़ा से कांपत रही ये हुजूर,रोज़ कंबल मिले के असरा देखत देखत कांपत कांपत सूत जात रही,लेकिन अब ई कंबल से देह के गर्मी भी मिली आऊ राहत वाला नींद भी आई।