होना ही चाहिए बदलाव


आशुतोष रंजन
गढ़वा

ऐसे भी कहा गया है की ना तो एक ही ढर्रे पर काम होना चाहिए और ना तो किसी एक व्यक्ति पर आधारित कोई महत्वपूर्ण कार्य होना चाहिए,एक निश्चित वक्त में हर जगह बदलाव बेहद ज़रूरी होता है,कहा जाता है बदलाव होने से कार्य में नयापन आता है,जैसे वर्तमान गुजरते वक्त में इस बदलाव की चर्चा हो रही है,क्योंकि सूत्रों की माने तो लोग यही कहते सुने जा रहे हैं की अब बाबू नहीं सारा काम साहब देखा करते हैं,लेकिन साथ ही लोग यह भी कह रहे हैं की बेशक बदलाव किया गया पर बहुत वक्त गुजर जाने के बाद पहल हुआ,यही बदलाव काफ़ी पहले होना चाहिए था,क्योंकि जैसे आज किसी तोहमत से दूर बाबू से ज़्यादा साहब कारगर हैं,ठीक इसी तरह उस वक्त भी कारगर सिद्ध होते और जिस उम्मीद के साथ इन्हें जिम्मेवारी दी गई है उस उम्मीद पर वो उस वक्त भी खरा उतरते,खैर कोई बात नहीं अभी देर ही सही बदलाव तो हुआ,लेकिन अभी भी कुछ और बदलाव करना ज़रूरी है ताकि लक्ष्य का तीर मछली की आंख भेद सके।