सराहना ही उत्साह को परवाज़ देता है :नीतेश


आशुतोष रंजन
गढ़वा

जब किसी व्यक्ति के कार्यों को देख उसे पुरस्कृत किया जाता है या उसकी सराहना होती है तब उसके बावत जब मैं कोई ख़बर लिखता हूं तो एक बात ज़रूर लिखता हूं की पुरस्कार और सराहना कार्य करने के उत्साह को और दुगुना करता है,जिस उत्साह से उस व्यक्ति द्वारा अब तक काम किया जा रहा था,अब उसके उसी उत्साह में वृद्धि हो जाती है और वो अपने कार्यों से नित नए आयाम गढ़ना शुरू कर देता है,आज हम अपने इस ख़बर के ज़रिए उस व्यक्ति की चर्चा करने जा रहे हैं जिसने गांव की बदहाली केवल देखी नहीं है बल्कि वो उससे दो चार भी हुआ है,तभी तो उसे कसक हुई थी की आज जब अपने पास कोई सामर्थ्य नहीं और कोई अधिकार नहीं है कल को अगर पास में सामर्थ्य और अधिकार होगा तो इस जहां एक ओर इस विषम हालात को दूर करूंगा

ऐसे की शुरुआत: गांव की बदहाली और लोगों की तंगहाली की कसक दिल में लिए बचपन से जवान होने और जहां तक हो सका पढ़ाई पूरी करने के बाद बाहर कहीं जा कर रोज़गार करने की जगह उस युवक द्वारा गांव के बदहाल हालात को दूर करने को ले कर गांव में ही रहने का निर्णय लिया गया,हम बात यहां गढ़वा जिले के रंका अनुमंडल अंतर्गत बरवाडीह गांव निवासी सह वर्तमान 20 सूत्री के जिला उपाध्यक्ष नीतेश सिंह की कर रहे हैं जिनके द्वारा पहले प्रखंड कार्यालय की दौड़ लगानी शुरू की गई ताकि सरकारी बाबुओं से यह जानकारी हो सके की हम गांव वालों के विकास को ले कर जो अधिकार हैं आख़िर हम उससे वंचित क्यों हैं,तब मालूम हुआ की हर गांव की तरह उस गांव और पूरे पंचायत के लिए भी योजनाएं आती हैं पर उसे वहां तक ले जाने के बजाय,ज़मीन पर कार्यान्वित कराने की जगह विचौलिए इधर ही डकार जाते हैं,क्योंकि अभी तक उधर का कोई भी ऐसा युवा इस बावत जानने और समझने वाला यहां तक नहीं आया था,तब फिर नीतेश सिंह द्वारा हक और अधिकार की लड़ाई शुरू हुई जिसमें उनकी जीत हुई और जिन विकासीय योजनाओं से गांव और पंचायत महरूम था वहां योजनाएं सरजमीन पर कार्यान्वित होने लगीं,और दशकों से बदहाल गांव विकसित और तंगहाल लोगों के हालात सुधरने लगे।

लोगों ने दिया हाथो में अधिकार: जो युवक पढ़ाई करने के बाद बाहरी दुनिया में जा कर ख़्वाब पूरा करने की सोच को तिलांजली दे कर यहीं गांव में रह कर हमारे सपने को सच करने का प्रयास किया जो सफ़ल हुआ,जिस हक़ से हम अब तक वंचित थे उसे हमें तब दिलाया जब वो कुछ नहीं है,अगर इसके हाथ में अधिकार दे दिए जाएं तो ये और बहुत कुछ कर सकता है,इसी सोच को आत्मसात करते हुए पंचायत के लोगों ने उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुन लिया,फिर क्या था,जो ज़ुबान बिना किसी अधिकार के लोगों के लिए मुखर हो रहे थे वो अब अधिकार के बाद वजन वाला हो गया,जिससे उससे निकलने वाले बात अब अनुरोध नहीं निर्देश और आदेश के रूप लिए,फिर क्या था सरजमीन पर विकास तेज़ी से कार्यान्वित होने लगा और पूरा पंचायत और आस पास के इलाके विकसित होने लगे,उसी का परिणाम हुआ की लोग अपने रहनुमा को भूले नहीं और इस साल एक बार फ़िर से उन्हें ही अपना प्रतिनिधि चुना,क्योंकि लोगों को बदलाव नहीं विकास चाहिए।

सक्रिय राजनीति में आए: उधर जहां वो पंचायत प्रतिनिधि के सीमित अधिकार के साथ क्षेत्र को विकसित करने में अनवरत जुटे थे उसी दरम्यान वर्तमान गढ़वा विधायक सह सूबे के मंत्री मिथिलेश ठाकुर तब संघर्ष कर रहे थे,उसी समय दोनो की मुलाकात होती है,संघर्ष के उपज मिथिलेश ठाकुर की आंखों में भविष्य में क्षेत्र के विकास को देखते हुए नीतेश सिंह उनके साथ हो लेते हैं,और फिर लंबे संघर्ष के बाद मिथिलेश ठाकुर क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के साथ साथ सरकार में मंत्री भी बन जाते हैं,जिस सोच और वायदे के साथ वो विधायक बनते हैं उसे उनके द्वारा पूरा करना शुरू कर दिया जाता है,उधर वादे के साथ साथ वादे से इतर अनगढ़ क्षेत्र को गढ़ने का उनका अभियान तीव्र गति से जो शुरू हुआ वो अब तलक चलायमान है,उधर इसी दरम्यान बीस सूत्री समिति का गठन शुरू हुआ,जिसके लिए नीतेश सिंह का जमीनी संघर्ष और विकासीय सोच काम आया और मंत्री के दिली प्रयास से वो सरकार द्वारा जिला बीस सूत्री उपाध्यक्ष बना दिए गए,अब नीतेश सिंह के हाथ एक और बड़े अधिकार से मजबूत हो गए,आलम हुआ की उनकी विकासीय कार्यशैली और कुशलता से आयाम गढ़ने लगे।

मंत्री के साथ साथ नीतेश सिंह भी हैं रोल मॉडल : – नीतेश सिंह का संघर्ष और कुशल कार्यकुशलता ही है की उन्हें मंत्री मिथिलेश ठाकुर का सबसे करीबी और विश्वासपात्र माना जाता है,प्रखंड से ले कर जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाले किसी भी राजनीतिक कार्यक्रमों में मंत्री द्वारा नीतेश सिंह के कार्यों की सराहना करने के साथ साथ युवा राजनेताओं को जिनके द्वारा अभी राजनीति में कदम रखा गया है उन्हें नीतेश सिंह की उपमा दी जाती है,उधर जहां एक ओर युवा उनकी दिली इज़्जत करते हुए उनकी बातों को तरजीह दिया करते हैं तो वहीं दूसरी ओर मंत्री के साथ साथ उन्हें भी अपना रोल मॉडल मानते हुए ख़ुद को मिली जिम्मेवारी का बखूबी निर्वहन किया करते हैं ताकि किसी रोज़ हमारे कार्यों को सराहने के साथ साथ हमें भी सराहना मिले।

सराहना ही उत्साह को परवाज़ देता है : – उधर नीतेश सिंह ने कहा की यह सराहना ही मेरे लिए बहुत है,क्योंकि सराहना ही उत्साह को परवाज़ देता है,मंत्री मिथिलेश ठाकुर जिस तरह व्यक्तिगत मुलाकात के साथ साथ सार्वजनिक मंच से भी मेरे कार्यों की सराहना की जाती है,यही मेरे लिए बहुत है,और इसी सराहना के बदौलत ही नए जोश और जज्बे से लबरेज़ हो कर मैं अपनी जिम्मेवारी को निभा पाता हूं,मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा का एक सच्चा सिपाही हूं और उस सिपाही का कर्तव्य ही सही तरीक़े से निभा सकूं यही मेरी सोच है,साथ ही कहा की मंत्री मिथिलेश ठाकुर के कदम के साथ हमकदम हो गढ़वा को पूर्ण विकसित करना ही दिली सोच है जो अनवरत सरजमीन पर परिणत हो रहा है।